मुंबई September 08, 2009
सही मॉनसून न होने के कारण इस साल ग्वार की बुआई कम हो सकी है, जिसके चलते पिछले साल की अपेक्षा इस बार उत्पादन 40 फीसदी तक कम होने की आशंका जताई जा रही है।
उत्पादन कम होने की आशंका के बावजूद पिछले 2 सप्ताह में ग्वार की कीमतों में 12 फीसदी से भी ज्यादा की गिरावट हो चुकी है और बाजार के जानकार मानते है कि नई फसल आने तक ग्वार की कीमतें अभी और 7-8 फीसदी नीचे गिर सकती हैं।
फसल कमजोर होने की आशंका के चलते सटोरियों ने ग्वार की कीमतें बहुत ज्यादा चढ़ा दी थी। उत्पादन कम होने की आशंका के बावजूद कीमतों में गिरावट हो रही है। ब्रोकिंग फर्म शेयर खान कमोडिटी के रिसर्च हेड मेहुल अग्रवाल कहते हैं कि पिछले कुछ दिनों से लगभग सभी इलाकों में अच्छी बरसात हो रही है, जिसके चलते जो फसलें खड़ी हैं उनकी पैदावार अच्छी हो जाएगी।
दूसरी बात- ग्वार की कीमतें बहुत ज्यादा ऊपर जा चुकी थीं। 1600 रुपये प्रति क्विंटल से 2400 रुपये प्रति क्विंटल तक ग्वार की कीमतें चढ़ा दी गईं, जिसके बाद उन्हे गिरना ही था।
22 अगस्त को 2400 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर को छूने के बाद ग्वार की कीमतों में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है, जो इस समय 2120 रुपये प्रति क्ंविटल पर पहुंच गई है और अक्टूबर तक ग्वार 2000 रुपये प्रति क्विंटल से भी नीचे आ सकता है। अक्टूबर के अंतिम सप्ताह तक ग्वार की नई फसल बाजार में आ जाएगी।
अगस्त के अंतिम सप्ताह से ग्वार में शुरू हुई मुनाफावसूली थमने का नाम नहीं ले रही है। हालांकि वायदा कारोबार में बीच-बीच ग्वार की कीमतें थोड़ा मजबूत होती जरुर दिखती है लेकिन अगले एक दो घंटे में वह फिर से लाल निशान दिखाने लगती है।
अग्रवाल के अनुसार ग्वार को अभी भी मिलर्स का सपोर्ट मिल रहा है जिसके चलते बीच बीच कीमतों में थोड़ा उछाल मिलता है, लेकिन इस समय खरीदारों की अपेक्षा बेचने वालों की संख्या ज्यादा है और बाजार में माल भी है जिसके चलते ग्वार की कीमतें ऊपर नहीं जा पाती है। सटोरियों ने कीमतों को काफी ऊपर चढ़ाया था जिनको आखिरकार बाजार से निकलना भी तो है।
ग्वार के सबसे बड़े उत्पादक राज्य राजस्थान में इस बार ग्वार की फसल काफी कमजोर बताई जा रही है। राजस्थान सरकार द्वारा जारी किये गए आंकड़ों के अनुसार इस साल राज्य में 25 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में ग्वार की बुआई हो सकी है जबकि पिछले साल राज्य में ग्वार की फसल 31.16 लाख हेक्टेयर में की गई थी।
क्षेत्रफल में कमी के साथ प्रति एकड क्षेत्र की पैदावार भी कम होने की बात कही जा रही है। जिसके चलते बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार उत्पादन 40 फीसदी कम होगा। पिछले साल ग्वार का उत्पादन 80 लाख बोरी (एक बोरी-100 किलो) हुआ था। (बीएस हिन्दी)
09 सितंबर 2009
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