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10 सितंबर 2009

अनुकूल माहौल रहा तो कपास का निर्यात नए सीजन में बढ़ेगा

नए सीजन में घरेलू बाजार भाव विदेशी मूल्य से कम रहे तो कॉटन का निर्यात इस साल के मुकाबले काफी बेहतर रह सकता है। वर्ष 2009-10 में भारत से कॉटन का निर्यात दोगुना होकर 65 लाख गांठ (प्रति गांठ 170 किलो) तक पहुंचने की उम्मीद है। कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएआई) के उपाध्यक्ष नयन सी. मीरानी के अनुसार वर्ष 2008-09 में घरेलू बाजार में भाव तेज होने और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कम होने के कारण मात्र 32 लाख गांठ का ही निर्यात हुआ।
नए सीजन में कॉटन की पैदावार में भी करीब 6.8 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल उत्पादन 312.25 लाख गांठ रहने की संभावना है। उत्तर भारत और गुजरात में कॉटन की नई फसल की आवक शुरू हो चुकी है तथा मिलों की मांग कमजोर होने के कारण पिछले एक महीने में कॉटन की कीमतों में करीब 1,000 से 1,200 रुपये प्रति कैंडी (प्रति कैंडी 356 किलो) की गिरावट आ चुकी है। शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव घटकर 22,200 से 22,400 रुपये प्रति कैंडी रह गए। नई फसल को देखते हुए मिलें अभी इंतजार करो और देखो की नीति अपना रहे हैं। मैसर्स कमल कॉटन ट्रेडर्स के डायरेक्टर राकेश राठी ने बताया कि कॉटन कारपोरेशन आफ इंडिया (सीसीआई) और नेफेड की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद जल्द शुरू नहीं की तो मौजूदा भावों में और भी 400-500 रुपये प्रति कैंडी की गिरावट आ सकती है। उत्तर भारत में नई कॉटन की दैनिक आवक 1,900 गांठ और गुजरात में 1,000 गांठ की हो रही है। अभी नए माल में 12 से 14 फीसदी की नमी आ रही है।
जबकि सीसीआई और नेफेड सात से आठ फीसदी तक नमी वाला माल ही खरीद करती हैं। सीएआई के अनुसार घरेलू बाजार में भाव घटने के कारण निर्यातकों को पड़ते लगने से भारत से निर्यात में बढ़ोतरी होगी। न्यूयार्क बोर्ड ऑफ ट्रेड में कॉटन के अक्टूबर वायदा में भाव इस समय 57.53 सेंट प्रति पाउंड चल रहे हैं जबकि कॉटलुक इंडेक्स में कॉटन के दाम 62.90 सेंट प्रति पांउड चल रहे हैं। भारत से निर्यात तो बढ़ेगा ही, साथ में आयात भी दस लाख गांठ से घटकर 2009-10 में सात लाख गांठ रहने की संभावना है। इस दौरान देश में कुल उपलब्धता 386.50 लाख गांठ रहने की संभावना है जबकि मांग 315 लाख गांठ की रहेगी। ऐसे में बकाया स्टॉक करीब 71.50 लाख गांठ रहने की उम्मीद है।
उत्तर भारत के राज्यों पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में नए सीजन में कॉटन का उत्पादन बढ़कर 43 लाख गांठ होने की संभावना है जबकि पिछले साल इसका उत्पादन 38।25 लाख गांठ का हुआ था। इसी तरह से मध्य भारत के गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में उत्पादन 171.75 लाख गांठ से बढ़कर 189 लाख गांठ होने की संभावना है। उधर दक्षिण भारत के राज्यों आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु में नए सीजन में उत्पादन 69.25 लाख गांठ से घटकर 66.75 लाख गांठ होने की आशा है। (बिज़नस भास्कर....र स Rana)

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