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01 अगस्त 2009

कच्ची चीनी के शुल्क मुक्त आयात की अवधि बढ़ी

नई दिल्ली- मंहगाई के मसले पर चौतरफा हमला झेल रही केंद्र सरकार ने चीनी की कीमतों पर लगाम लगाने के लिए कच्ची चीनी के शुल्क मुक्त आयात को मार्च 2010 तक बढ़ाने का फैसला किया है। इसके अलावा सरकार ने प्राइवेट ट्रेडर्स को भी कच्ची चीनी के आयात की इजाजत दे दी है। राज्य सभा में इस आशय की घोषणा करते हुए कृषि एवं खाद्य मंत्री शरद पवार ने बताया, 'सरकार ने फैसला किया है कि कच्ची चीनी के शुल्क मुक्त आयात की टर्मिनल अवधि को पहली अगस्त 2009 से बढ़ाकर 31 मार्च 2010 कर दिया जाए। इससे चीनी मिलों को ओपन जनरल लाइसेंस (ओजीएल) के तहत चीनी आयात करने में सुविधा होगी।' ओजीएल के तहत चीनी मिलों को बाद में चीनी निर्यात करने में कोई समस्या नहीं आती।
सरकार ने ह्वाइट शुगर आयात करने के लिए भी समय सीमा 30 नवंबर तक बढ़ा दी है। इससे पहले इसकी अवधि पहली अगस्त को समाप्त हो रही थी। इस समय तक ह्वाइट शुगर के आयात पर सिर्फ सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों (एसटीसी, एमएमटीसी और पीईसी) को ही शुल्क में छूट की सुविधा दी जा रही थी लेकिन अब निजी कंपनियों को भी शुल्क मुक्त आयात की सुविधा दी गई है। इस फैसले में हालांकि रिफाइंड चीनी के आयात के लिए दस लाख टन की सीमा को हटाने के बारे में कोई निर्णय नहीं किया गया है। पवार ने बताया कि सरकार के इस फैसले से देश में चीनी की उपलब्धता बढ़ाने और इसकी कीमत पर नियंत्रण रखने में मदद मिलेगी। भारत ने अब तक करीब 17 लाख टन कच्ची चीनी का आयात किया है, जबकि इस महीने के अंत तक 1.65 लाख टन चीनी पहुंच जाएगी। उद्योग जगत के सूत्रों के अनुसार अब तक 29 लाख टन चीनी के आयात के लिए कॉन्ट्रैक्ट किए गए हैं। इसी तरह सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों ने 1.15 लाख टन रिफाइंड चीनी के लिए कॉन्ट्रैक्ट किया है जिसमें से 43,550 टन चीनी का आयात किया जा चुका है। इस महीने के अंत तक कुल 79,605 टन चीनी देश में पहुंच जाने की उम्मीद है। इससे पहले अप्रैल में सरकार ने कच्ची चीनी के आयात पर लगने वाले 60 फीसदी आयात शुल्क को माफ करने और ओजीएल योजना के तहत पहली अगस्त तक शुल्क मुक्त आयात का फैसला किया था। इसके अलावा सरकार ने एसटीसी, एमएमटीसी और पीईसी को रिफाइंड चीनी के आयात की भी इजाजत दे दी थी। सरकार को यह चिंता सता रही है कि अक्टूबर से शुरू होने वाले गन्ना उत्पादन के अगले सत्र में उत्पादन घटने की आशंका है। इस वजह से देश के चीनी उत्पादन में कमी की आशंका व्यक्त की गई है। कीमतों पर काबू पाने के लिए सरकार ने समय रहते कोशिशें तेज कर दी हैं। (ET Hindi)

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