नई दिल्ली August 17, 2009
देश के सबसे बड़े चावल उत्पादक राज्य पंजाब में बासमती धान के रकबे में पिछले साल के मुकाबले 8 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गयी है।
इस बढ़ोतरी के कारण धान के कुल रकबे में पिछले साले के मुकाबले कोई कमी नहीं आई है। गैर बासमती धान के रकबे में पंजाब के सभी जिलों में कमोबेश 2-10 फीसदी तक की गिरावट है। दूसरी तरफ सामान्य के मुकाबले 50 फीसदी तक कम बारिश होने के कारण किसानों की लागत रोजाना बढ़ रही है।
धान की फसल को बर्बादी से बचाने के लिए अब तक सिर्फ पानी पटाने के नाम पर 4000 रुपये प्रति एकड़ किसान खर्च कर चुके हैं। सिंचाई किसानों पर भारी पड़ रही है। पिछले खरीफ के दौरान पंजाब में 165 लाख टन धान का उत्पादन हुआ था।
सभी शहरों में बासमती
पंजाब में गत वर्ष 27 लाख हेक्टेयर जमीन पर धान की बुआई की गयी थी। इस साल भी इस रकबे में कोई कमी नहीं आयी है।
पंजाब के संयुक्त सचिव (कृषि) सरदार गुरुदयाल सिंह ने चंडीगढ़ से बताया, 'पिछले साल धान की कुल बुआई का 12 फीसदी हिस्सा बासमती का था जो कि इस साल बढ़कर 20 फीसदी हो गया है। क्योंकि बासमती धान को अपेक्षाकृत कम पानी की जरूरत है और इसकी बुआई एक माह की देरी से होती है।'
अमृतसर से लेकर नवांशहर तक, लगभग सभी जिलों में बासमती के रकबे में इजाफा हुआ है। देर से रोपाई के चलते बासमती ही किसानों की पसंद रही।
सता रहा है उत्पादन में गिरावट का डर
पंजाब के कृषि अधिकारी अगस्त माह में बारिश नहीं होने पर उत्पादन में 5 फीसदी तक की कमी आने की आशंका जाहिर कर रहे हैं।
अमृतसर के मुख्य कृषि अधिकारी परमजीत सिंह संधू ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, 'गर्मी एवं आर्द्रता अधिक होने पर फसल में कीड़े लगने की पूरी संभावना रहती है और हालात को देखते हुए उत्पादन में कमी आ सकती है।'
कई इलाकों में पानी काफी नीचे चला गया है, लिहाजा बहुत अधिक खर्च करने की हैसियत नहीं रखने वाले किसानों ने अब खेतों में पानी पटाना बंद कर दिया है।
गैर बासमती गैर हुआ
जालंधर में गैर बासमती चावल के रकबे में 50 हजार हेक्टेयर की गिरावट हुई है। पिछले साल जालंधर जिले में 1 लाख 55 हजार हेक्टेयर जमीन पर गैर बासमती धान की बुआई की गयी थी।
जबकि बासमती का रकबा 8 हजार हेक्टेयर से बढ़कर 12 हजार हो गया। अमृतसर जिले में गैर बासमती चावल की बुआई में 5000 हेक्टेयर की कमी आयी है। बासमती के रकबे में 30 हजार हेक्टेयर की बढ़ोतरी दर्ज की गयी है। इस साल अमृतसर में 90 लाख हेक्टेयर जमीन पर बासमती धान की बुआई हुई है।
गुरुदासपुर में गैर बासमती धान के रकबे में पिछले साल के 2 लाख 1000 हेक्टेयर के मुकाबले मात्र 1000 हेक्टेयर की गिरावट आई है तो नवांशहर में गत वर्ष के 40,000 हेक्टेयर के मुकाबले इस साल 35,000 हेक्टेयर जमीन पर गैर बासमती धान की बुआई की गयी। (BS Hindi)
18 अगस्त 2009
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