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06 अगस्त 2009

बड़े पैमाने पर होगा दाल का आयात

मुंबई August 05, 2009
बारिश की कमी के चलते चालू बुआई सत्र में फसलों में 50 प्रतिशत की कमी से भारत दाल की कमी को पूरा करने के लिए अगले 3 महीने में 4,00,000 टन दाल के आयात की योजना बना रहा है।
भारतीय कारोबारियों ने पहले ही 3,73,000 टन पीली मटर का आयात किया है, जिससे बढ़ती घरेलू मांग को पूरा किया जा सके। यह संवेदनशील जिंस भारतीय बंदरगाहों पर पिछले 6 दिन से पड़ी हुई है और विभिन्न चरणों में उसे सरकार से हरी झंडी मिलने की प्रतीक्षा है, जिससे इसे बाजार में लाया जा सके।
इतना कुछ होने के बावजूद भारत में इसकी जरूरतों को पूरा करने के लिए आयातित मात्रा अपर्याप्त है। मुंबई स्थित दाल आयातक संघ (पीआईए) ने दाल की घरेलू खपत को देखते हुए कहा है कि अभी 4,00,000 टन दाल के आयात की जरूरत है।
पीआईए ने इस बात पर भी चिंता जाहिर की है कि पिछले 6 दिनों से भारतीय बंदरगाहों पर बड़े पैमाने पर आयातित दाल पड़ी हुई है, क्योंकि इसे क्लियरेंस नहीं मिल रहा है। मुंबई स्थित दाल आयातक, यू गोयनका संस प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक एसपी गोयनका ने कहा, 'हो सकता है कि कुछ मात्रा में दाल भारत सरकार के गोदामों में पड़ी हो, लेकिन निजी कारोबारियों के पास इस समय दाल नहीं है।'
भारत एक साल में करीब 112 लाख टन दालों का उत्पादन करता है। इसमें खरीफ और रबी के मौसम में उत्पादित सभी दालें शामिल हैं। दाल की कुल खपत को देखते हुए 30 लाख टन दाल का आयात करना पड़ता है, जिससे कुल 145 लाख टन दाल की मांग को पूरा किया जा सके। इस साल बारिश में देरी की वजह से खरीफ की दालों की बुआई देर से शुरू हुई।
गोयनका ने कहा कि यह आश्चर्यजनक है कि खरीफ में उगाई जाने वाली ज्यादातर दलहन फसलें खेतों में नमी की वजह से खराब हो गईं, क्योंकि अनुकूल बीज नहीं मिले। अभी तक के मिले आंकड़ों के मुताबिक 31 अगस्त को खरीफ के दौरान दलहन के क्षेत्रफल में 9.62 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई और यह पिछले साल के 67.122 लाख हेक्टेयर की तुलना में यह 73.584 लाख हेक्टेयर हो गया।
दालों की बुआई का सामान्य क्षेत्रफल अनुमानित रूप से 111.698 लाख हेक्टेयर है। भारत में अरहर दाल का आयात तंजानिया से, काबुली चना, उड़द और पीली मटर का आयात तुर्की से होता है। पड़ोसी देश म्यामार से भी विभिन्न किस्मों की दाल का आयात होता है।
पीआईए ने स्पष्ट किया है कि इस समय जो दालें विभिन्न बंदरगाहों पर पड़ी हैं उसमें 13,000 टन पीली मटर एमएमटीसी लि., 50,000 टन पीईसी, 86,000 टन नैशनल एग्रीकल्चर कोआपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन आफ इंडिया की ओर से आयात की गई है।
उसने यह भी स्पष्ट किया है कि करीब 66,000 टन पीली मटर कोलकाता और 182,050 टन मुंबई बंदरगाह पर पड़ी है। काकीनाडा, तूतीकोरिन और विजग बंदरगाहों पर क्रमश: 28,000 टन, 89,000 टन और 8,000 टन दालें पड़ी हैं। (BS Hindi)

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