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07 अगस्त 2009

मंदी भगाने को बेताब रत्न एवं आभूषण उद्योग

मुंबई August 06, 2009
एशिया का सबसे बड़ा रत्न एवं आभूषण कारोबार का मेला इंडियन इंटरनेशनल ज्वैलरी शो में देसी और विदेशी कारोबारी की संख्या को देखकर लगता है कि यह उद्योग मंदी की गिरफ्त से निकलकर एक बार फिर से कारोबारी उड़ान भरने की तैयारी में जुट गया है।
इस उद्योग के विकास के लिए महाराष्ट्र सरकार अगले कुछ सालों में पब्लिक प्राइवेट पार्टनशिप के तहत छह प्रदर्शनी हालों का निर्माण करेगी। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने इस अंतरराष्ट्रीय मेले का उद्धाटन करते हुए कारोबारियों से वादा किया कि इस उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सरकार हर संभव मदद देगी।
देश की आर्थिक राजधानी होने के नाते यहां इस तरह की प्रदर्शनी सही तरह से कराने के लिए सरकार अगले कुछ सालों में मुंबई में छह कन्वेंशन सेंटरों (प्रदर्शनी हाल) का निर्माण करेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि ये सेंटर सरकारी और निजी भागीदारी के तहत बनाए जाएंगे।
जेम्स एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन कांउसिल के अध्यक्ष वसंत मेहता ने सरकार का ध्यान खींचते हुए कहा कि पिछले कुछ सालों से यह कारोबार महाराष्ट्र से गुजरात की ओर जा रहा है। जिसकी मुख्य वजह राज्य में लगने वाली चुंगी है।
सोने और हीरे के गहनों की कीमत बहुत ज्यादा होती है उसमें 2 फीसदी चुंगी देना कारोबारियों के लिए बहुत भारी पड़ता है इसीलिए कारोबारी महाराष्ट्र की अपेक्षा गुजरात जैसे राज्यों को प्राथमिकता दे रहे हैं। मेहता के अनुसार सरकार अगर इस ओर ध्यान नहीं देती तो यह उद्योग धीरे-धीरे पूरी तरह से गुजरात चला जाएगा।
इस सवाल पर मुख्यमंत्री का कहना था कि महानगरपालिका की आय का मुख्य जरिया चुंगी ही है, लेकिन यह भी सच है कि हीरा जैसे उद्योग के लिए यह ज्यादा है इसलिए सरकार इस पर गंभीरता से विचार कर रही है और महानगर पालिकाओं से बात करने के बाद इस पर कुछ फैसला लिया जाएगा।
गौरतलब है कि हीरे और सोने के गहनों के निर्माण के मामले में महाराष्ट्र का पहला स्थान था लेकिन पिछले एक दो सालों के अंदर विशेषकर हीरा कारोबारियों ने महाराष्ट्र से कारखाने बंद करके गुजरात में खोलना शुरू कर दिया है जिसकी वजह गुजरात की अपेक्षा महाराष्ट्र के ज्यादा कर और महंगे किराए को माना जा रहा है।
विदेशी कारोबारियों की भारी संख्या को देखकर कारोबारियों के चेहरे में भी मुस्कान दिखाई देने लगी है। इस मेले में शामिल होने वाले सी महिन्द्रा एक्सपोर्ट लिमिटेड के चेयरमैन संजय शाह कहते हैं कि देसी विदेशी कारोबारियों की संख्या और भारतीय उत्पादों के प्रति उनकी दिलचस्पी को देखते हुए लगता है कि इस उद्योग के बुरे दिन खत्म हो चुके हैं और एक बार फिर से यह उद्योग पटरी पर आ गया है।
उनके अनुसार विदेशों से दोबारा मांग भी शुरू हो चुकी है और बाजार में भी अच्छे संकेत दिखाई दे रहे हैं। जेम्स ऐंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन कांउसिल का इंडियन इंटरनेशनल ज्वेलरी शो पिछले 26 सालों से आयोजित किया जाता है। इस शो में कारोबार बिजनेस टू बिजनेस तर्ज पर किया जाता है।
इस बार करीबन 46,000 वर्ग फुट में फैले इस मेले में 704 कंपनियों के 1553 स्टालों में इस उद्योग के कारोबार और कारीगरी को प्रदर्शित किया गया है। मेले में यूएसए, यूएई, यूके, ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, फिजी, जर्मनी, इजरायल, इटली, जापान, लेबनान, सऊदी अरब, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, श्रीलंका और ताईवान के कारोबारी भाग ले रहे हैं।
आकर्षण का केंद्र नेकलेस व जूता
मुंबई में चल रहे इंडियन इंटरनैशनल ज्वैलरी शो में कोलकाता की श्रीगणेश ज्वेलरी द्वारा पेश किया गया 6.5 किलो वजन और 5 फुट लंबाई वाला सोने का नेकलेस एवं डेढ़ किलों का सोने का जूता यहां आने वाले लोगों के आकर्षण का केंद्र बन गया।
इसके अलावा कंपनी द्वारा पेश की गई 800 ग्राम वजन वाली सोने की टाई और कंघी को भी लोगों ने खूब पसंद किया। कंपनी के उपाध्यक्ष एम सी दलाल के अनुसार हमने इस तरह के उत्पादों का निर्माण कारोबार करने के लिए नहीं बल्कि दुनिया के सामने भारत की कला का प्रदर्शन करने के लिए किया है। उनके अनुसार उनके सारे उत्पाद 22 कैरेट सोने से बनाए गए हैं।
कंपनी द्वारा तैयार किया गया नेकलेस लंबाई और वजन के हिसाब से विश्व रिकॉर्ड है जिसको गिनीज बुक में भी दर्ज कराने के लिए प्रयास किया जाएगा। इसको तैयार करने में चार प्रमुख डिजाइनरों के साथ 20 कुशल कारीगरों ने चार महीने तक दिन रात मेहनत की है। श्रीगणेश कंपनी ने पिछले साल भी 2-3 किलोग्राम वजन के उत्पाद प्रदर्शित किए थे। (BS Hindi)

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