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06 अगस्त 2009

इसी माह बढ़ने लगेंगी चावल की कीमतें

हरियाणा, पंजाब, छत्तीसगढ़ और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सूखे जैसी स्थिति के चलते धान के बुवाई क्षेत्रफल में भारी गिरावट आई है। अगस्त के अंत से लेकर सितंबर की शुरूआत तक इसका असर चावल की कीमतों पर भी दिखने लगेगा। चावल व्यापारियों और कृषि मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि तब तक देश में चावल उत्पादन में गिरावट की तस्वीर काफी हद तक साफ हो जाएगी। यही नहीं, सितंबर में सरकार को खरीफ के आरंभिक अनुमान भी जारी करने होंगे। इन सबका कीमतों पर असर पड़ना तय है। किसानों ने इस बार गैर बासमती के मुकाबले बासमती धान की रोपाई ज्यादा क्षेत्रफल में की है। इसकी वजह से भी गैर बासमती चावल की कीमतों में तेजी के आसार हैं।कमजोर मानसून के चलते हरियाणा में अभी तक धान का रकबा पिछले साल से करीब ख्.त्तक् लाख हेक्टेयर कम है। हरियाणा कृ षि विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक अब तक प्रदेश में धान की रोपाई करीब ख्क्.त्तक् लाख हेक्टेयर में हुई है। पिछले साल प्रदेश में धान की रोपाई ख्फ्.ख्क् लाख हेक्टेयर में हुई थी। कृषि विभाग ने प्रदेश में धान की फसल में अधिक पानी के प्रयोग को राकने के लिए चालू खरीफ धान रोपाई सीजन में धान बुवाई लक्ष्य ख्ख्.म्क् लाख हेक्टेयर रखा, जो पिछले साल से स्त्रक् हजार हेक्टेयर कम था। लेकिन मानसून की बेरुखी, नहरों में पानी की कमी और बिजली की किल्लत से बुवाई इस घटे हुए लक्ष्य से भी कम रहने की आशंका है। दूसरी तरफ चालू खरीफ सीजन में हरियाणा में अब तक बाजरा की बुवाई स्त्र.ख्क् लाख हेक्टेयर रकबे में हुई है, जो पिछले साल की तुलना में करीब त्तक् हजार हेक्टेयर ज्यादा है। पिछले साल राज्य में बाजरा की बुवाई म्.भ्क् लाख हेक्टेयर में हुई थी। प्रदेश में पिछले साल सरकारी एंजेसियों ने बाजरा की खरीद की थी और किसानों को इसकी अच्छी कीमत मिली थी। इस कारण भी किसानों ने धान की अपेक्षा बाजरा को तरजीह दी है। कृषि मंत्रालय ने 31 जुलाई को बुवाई के जो आंकड़े जारी किए थे, उसके मुताबिक उत्तर प्रदेश में धान की बुवाई 28.08 लाख हेक्टेयर में घटी है। इसी तरह हरियाणा में 31 जुलाई तक धान का रकबा 1.20 लाख हेक्टेयर, पंजाब में 0.42 लाख हेक्टेयर तथा राजस्थान में 0.06 लाख हेक्टेयर कम था।पूरे देश में धान का बुवाई क्षेत्रफल केवल 191.30 लाख हेक्टेयर तक पहुंच सका है जो पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 65.48 लाख हेक्टेयर कम है। दिल्ली स्थित मैसर्स सुल्तानिया एंड संस के प्रोपराइटर राजेश सुल्तानिया ने बताया कि चावल उत्पादन में कमी की आशंका से स्टॉकिस्टों की बिकवाली पहले की तुलना में घट गई है। इससे भावों में मजबूती आने लगी है। उन्होंने भी कहा कि गैर बासमती धान की रोपाई में भारी कमी से इसके चावल की कीमतें काफी तेज रहने की संभावना है। पिछले पंद्रह-बीस दिनों में दिल्ली थोक बाजार में गैर बासमती (परमल चावल) की कीमतें बढ़कर 1650 रुपये प्रति क्विंटल और बासमती की कीमतें 8000-9000 रुपये प्रति क्विंटल हो गई हैं। (Business Bhaskar...R S Rana)

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