04 अगस्त 2009
देश में सुलभता बढ़ाने के लिए प्याज का निर्यात मूल्य 20 डॉलर बढ़ाया
प्याज की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए इसका निर्यात और महंगा कर दिया गया है। सर्दियों का सीजन शुरू होने से पहले ही प्याज की कमी को देखते हुए नैफेड ने अगस्त के लिए प्याज के निर्यात पर न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) 20 डॉलर प्रति टन बढ़ा दिया है। प्याज के निर्यात मूल्य और देश में सुलभता के बीच संतुलन बनाने के लिए एमईपी जारी करने वाली नोडल एजेंसी नैफेड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि प्याज के लिए एमईपी में 20 डॉलर की बढ़ोतरी कर दी है। अब अगस्त में प्याज के निर्यात के लिए 205 से 210 डॉलर प्रति टन होगा। उन्होंने कहा कि सरकार प्याज की कीमतों पर कड़ी नजर रख रही है। अक्टूबर के आसपास प्याज की कीमतें काफी बढ़ सकती हैं क्योंकि स्टोर की गई प्याज का निर्यात तेजी से हो रहा है। मानसून में देरी के कारण ब्याज की बुवाई प्रभावित हुई है और खरीफ की नई प्याज को बाजार में आने में कुछ समय लग सकता है। ऐसे में प्याज की कीमतें बढ़ सकती हैं। कारोबारियों का कहना है कि कुछ समय तो प्याज की कीमतें नहीं बढ़ेंगी क्योंकि महाराष्ट्र में प्याज का अच्छा स्टॉक है, लेकिन 25 लाख टन का यह स्टॉक सितंबर अंत तक समाप्त हो सकता है। तब उपभोक्ताओं को प्याज की महंगाई ज्यादा सता सकती है। प्याज के थोक भाव पहले ही बढ़ोतरी के संकेत दे चुके हैं। 31 जुलाई को प्याज कारोबार के प्रमुख केंद्र लासलगांव (नासिक) में प्याज के थोक भाव 581 रुपये प्रति क्विंटल रहे, जबकि करीब तीन महीने पहले ये 371 रुपये प्रति क्विंटल थे। इस अवधि के दौरान दिल्ली में प्याज की कीमतें 680 से बढ़कर 760 रुपये प्रति क्विंटल रहीं। खुदरा विक्रेताओं ने भी कुछ अन्य जरूरी वस्तुओं के दाम बढ़ने के साथ ही प्याज के दाम भी बढ़ा दिए हैं। राजधानी दिल्ली में खुले बाजार में प्याज 16 रुपये प्रति किलो तक बेची जा रही है। इससे प्याज की थोक और खुदरा कीमतों का अंतर साफ हो जाता है। (Business Bhaskar)
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