16 दिसंबर 2009
रासी सीड्स अब सब्जियों के बाजार में भी
देश में बीटी कपास के बाजार में करीब 20 फीसदी की हिस्सेदारी रखने वाली रासी सीड्स अब विविधता को अपनाते हुए सब्जियों के बाजार में भी उतर रही है। इसके लिए कंपनी ने हरियाणा के मानेसर में अपनी पहली सब्जी के बीज तैयार करने वाली डिवीजन हॉयवेज का उदघाटन किया है। इस संयंत्र से किसानों को भिंडी, टमाटर, घीया, करेला, खीरा, तरबूज, फूलगोभी, बंदगोभी, मूली, बैंगन, मिर्च, गाजर, प्याज, पुदीना और फलियों के बीज प्राप्त होंगे। इस अवसर पर कंपनी के चेयरमैन और सह प्रबंध निदेशक डॉ। एम. जी. रामास्वामी ने बताया कि रासी सीड्स देश में पहली बार बंदगोभी के हाइब्रिड बीज तैयार कर रही है। उन्होने कहा कि देश में बंदगोभी की संकर किस्म के बीज विदेशों से आते हैं और पहली बार देश में अधिक पैदावार देने वाला बंदगोभी का संकर बीज विकसित किया गया है। डॉ. रामास्वामी ने बताया कि फूलगोभी की संकर किस्म के करीब 95 फीसदी बीज विदेशों से आते हैं, इसकी भी नई किस्म रासी सीड्स तैयार कर रही है। उनका कहना है कि बंदगोभी की नई किस्म आने वाले चार वषों में जारी कर दी जाएगी। डॉ. रामास्वामी ने कहा कि अन्न पैदा करने वाले और सब्जी उत्पादक किसान अलग-अलग हैं और उनकी जरुरतें भी अलग हैं, इन्हें पूरा करने का प्रयास रासी सीड्स का रहेगा। इस मौके पर ट्रस्ट फॉर एडवांसमेंट ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज (तास) के चेयरमैन डॉ. राज परोदा ने कहा कि सब्जी की नई संकर किस्मों से किसानों की उत्पादकता बढ़ेगी और उनके मुनाफे में भी इजाफा होगा। डॉ. परोदा का कहना है कि सब्जियों के द्वारा देश में कुपोषण की कमी से निपटने में आसानी होगी। उन्होंने कहा कि मक्का की संकर किस्मों पर भी काम किया जाना चाहिए, क्योंकि सिर्फ 24 फीसदी भूमि पर संकर मक्का लगाई जा रही है।रासी सीड्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. अरविंद कपूर ने बताया कि कंपनी ने 25 एकड़ भूमि पटौदी में पट्टे पर ली है, जिसमें सब्जियों का उत्पादन किया जाएगा। बीज बनाने के लिए पुष्पन की आवश्यकता होती है, जिसके लिए अधिकतर सब्जियों को कंपनी के कुल्लू स्थित सुविधा में भेजा जाएगा। कपूर का कहना है कि देश में सब्जियों का बाजार करीब 1,500 करोड़ रुपये का है और रासी सीड्स की कोशिश सब्जियों के बाजार में 10 से 15 फीसदी हिस्सेदारी पाने की है। कंपनी का फिलहाल टर्नओवर करीब 420 करोड़ रुपये है, जिसमें सब्जियों की हिस्सेदारी करीब दो करोड़ रुपये ही है और 370 करोड़ रुपये अकेले कपास की है। (बिज़नस भास्कर)
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