नई दिल्ली December 14, 2009
थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर नवंबर महीने में बढ़कर 4.78 प्रतिशत पर पहुंच गई। आलू, चीनी और दाल जैसे खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों ने इसमें अहम भूमिका निभाई।
सोमवार को जारी महंगाई दर के मासिक आंकड़ों के मुताबिक थोक मूल्य कीमत पर आधारित महंगाई दर बढ़कर पांच फीसदी के करीब पहुंच गई जो अक्टूबर में 1.34 फीसदी थी। नवंबर 2008 में महंगाई दर 8.48 प्रतिशत थी।
यस बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री शुभदा राव ने कहा, 'विनिर्माण क्षेत्र में भी महंगाई दर में बढ़ोतरी हुई है, वहीं प्राथमिक उपभोग की वस्तुओं में तेज बढ़ोतरी हुई है। बढ़ती महंगाई को देखते हुए रिजर्व बैंक सीआरआर में दिसंबर में 0.25 से आधा फीसदी बढ़ोतरी कर सकता है।'
कीमतों में बढ़ोतरी के लिए आपूर्ति की दिक्कतों को जिम्मेदार ठहराते हुए अर्थशास्त्री सुरेश तेंदुलकर ने कहा आरबीआई बढ़ती कीमत पर लगाम लगाने के लिए तरलता वापस लेने की कोशिश करेगा। इससे पहले जारी खाद्य महंगाई दर के साप्ताहिक आंकड़े नवंबर के दौरान तेजी से बढ़कर 19.04 फीसदी हो गए जो पूरे दशक की सबसे तेज बढ़ोतरी रही।
सरकार द्वारा दूसरी बार जारी मासिक आंकड़े से स्पष्ट है कि आलू की कीमत में पिछले आठ महीनों में 141 फीसदी की बढ़ोतरी हुई, चीनी 37 फीसदी मंहगी हुई, जबकि दाल की कीमत 37 फीसदी और प्याज की कीमत 20 फीसदी बढ़ी। इधर खनिज, खाद्य तेल और चमड़ा मार्च 2009 के बाद से सस्ते हुए हैं। आरबीआई ने अक्टूबर में अपनी मौद्रिक नीति की समीक्षा में महंगाई दर के अनुमान को बढ़ाकर 6.5 फीसदी कर दिया था।
तेंदुलकर ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे माल की कीमत बढ़ रही है इसलिए घरेलू कीमतों में भी बढ़ोतरी हो रही है। सरकार को आपूर्ति की कमी से निपटने की जरूरत है। उन्होंने कहा, 'आरबीआई एसएलआर (सांविधिक तरलता अनुपात) के लिहाज से नकदी वापस ले सकती है लेकिन मुझे नहीं लगता कि दरों में कोई बदलाव किया जाएगा- अगली तिमाही समीक्षा (जनवरी) तक तो नहीं।'
केंद्रीय बैंक उद्योग के लिए धन की आपूर्ति बढ़ा रहा है ताकि वैश्विक वित्तीय संकट से निपट सके। बढ़ती कीमत सरकार के लिए चिंता का विषय है क्योंकि कांग्रेस अयक्ष सोनिया गांधी ने कहा है कि इस सप्ताह के दौरान आवश्यक जिंसों की कीमतों में तेजी हमारे लिए सबसे अधिक चिंता का विषय है।
विनिर्मित उत्पादों में कपड़े की कीमत 1.4 फीसदी बढ़ी, जबकि कागज और कागज के उत्पादों की कीमत 0.1 फीसदी बढ़ी। इधर रसायन और रासायनिक उत्पाद 0.1 फीसदी महंगे हुए। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने नवंबर में महंगाई के बढ़ने के लिए खाद्य उत्पादों की कीमतों में आई तेजी को जिम्मेदार ठहराया है।
मुखर्जी ने संवाददाताओं से कहा, 'महंगाई दर में बढ़ोतरी मुख्यत: खाद्य उत्पादों की कीमतों में बढोतरी के कारण हुई है।' मुखर्जी ने कहा कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) में खाद्य उत्पादों का हिस्सा अधिक है इसलिए थोक मूल्य सूचकांक के बजाय ज्यादा बढोतरी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) में हुई है।
दोनों सूचकांकों में अंतर की ओर संकेत करते हुए उन्होंने कहा कि सीपीआई में खाद्य उत्पादों का हिस्सा 43-49 फीसदी है। वित्त सचिव अशोक चावला ने संवाददाताओं को बताया, 'ऐसा नहीं है कि हम इससे आश्चर्यचकित हैं या ऐसी स्थिति में किसी विशेष आपात उपाय की जरूरत है।' (बीएस हिन्दी)
15 दिसंबर 2009
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