मुंबई December 16, 2009
देश के किसानों ने बाजार की चाल पकड़ ली है।
रबी सीजन में किसानों ने गेहूं, चना, मसूर और सरसों की बुआई बड़े पैमाने पर की है, क्योंकि इनके बाजार भाव पिछले एक साल में बहुत ज्यादा बढ़े हैं। वहीं बाजार भाव कम रहने के चलते कुछ फसलों की बुआई पिछले साल की तुलना में कम हुई है।
चालू रबी सीजन में 10 दिसंबर तक की गई बुआई के आंकड़ों के अनुसार रबी सीजन की प्रमुख फसल गेहूं की बुआई पिछले साल की अपेक्षा इस बार 1.26 लाख हेक्टेयर अधिक है। कृषि मंत्रालय के अनुसार अभी तक गेहूं की बुआई 217.28 लाख हेक्टेयर पर हो चुकी है जबकि पिछले साल 216.02 लाख हेक्टेयर पर हुई थी। जबकि गेहूं के अलावा दूसरे अनाजों की बुआई कम हुई है।
कुल खाद्यान्न फसलों की बुआई इस बार 277.64 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल पर ही की जा सकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 278.90 लाख हेक्टेयर पर अनाज फसलों की बुआई हो गई थी। पिछले एक साल में सबसे ज्यादा दलहन की कीमतों में इजाफा हुआ है। 32 रुपये किलो बिकने वाली दाल इस समय बाजार में 90 रुपये के ऊपर रही है।
शायद इसीलिए दलहन की तरफ किसान ज्यादा आकर्षित हुए हैं। चना पिछले साल जहां 71.06 लाख हेक्टेयर क्षेत्र पर बोया गया था वही इस बार 73.12 लाख हेक्टेयर में चने की फसल खड़ी है। चने के अलावा रबी सीजन की दूसरी प्रमुख दलहन फसल मसूर भी इस बार पिछले साल के 13.70 लाख हेक्टयर की अपेक्षा 15.29 लाख हेक्टेयर क्षेत्र पर बोई गई है।
दलहन के कुल क्षेत्रफल में भी बढ़ोतरी नजर आ रही है। पिछले साल 10 दिसंबर तक 109.38 लाख हेक्टयर पर दलहन फसलों की बुआई हुई थी जबकि इस बार 111.90 लाख हेक्टेयर पर बुआई हो चुकी है।
फसलों की बुआई में परिवर्तन के बारे में शेयरखान कमोडिटी हाउस के रिसर्च हेड मेहुल अग्रवाल कहते हैं कि इस साल पिछले साल की अपेक्षा फसल ज्यादा अच्छी होगी लेकिन मौसम में परिवर्तन के कारण बुआई देर से शुरू हुई है इसके बावजूद किसानों को जिन फसलों में फायदा ज्यादा दिखाई दे रहा है उनकी बुआई वह अधिक कर रहे हैं।
रबी सीजन के दौरान फसलों की कुल बुआई क्षेत्रफल को देखा जाए तो इस बार स्थिति पिछले साल से भी बदतर दिखाई दे रही है। 10 दिसबंर 2008 तक 472.08 लाख हेक्टेयर पर फसल खड़ी थी जबकि इस बार महज 467.31 लाख हेक्टेयर पर फसल दिखाई दे रही है।
अग्रवाल के अनुसार रबी सीजन की कुल बुआई इस बार ज्यादा होगी क्योंकि अक्टूबर महीने में जो बारिश हुई है वह पिछले साल से 11 फीसदी अधिक थी जिससे खेतों में अच्छी नमी पहुंच गई है। इसका फायदा किसानों को मिलेगा। फसल सीजन देर से शुरू होने के कारण अभी बुआई क्षेत्र कम दिखाई दे रहा है।
अर्थशास्त्री मनोहर जोशी के अनुसार महंगाई की मार सरकारी कानों तक सुनाई देने लगी है शायद इसीलिए सरकार भी मानने लगी है कि खाद्य पदार्थो की कीमतें अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार पिछले साल की अपेक्षा खाद्य पदार्थों की कीमतें इस समय 24.7 फीसदी ज्यादा हैं और इस बात को किसान भी समझ रहे हैं इसीलिए जिन फसलों की बाजार में इस समय मांग ज्यादा है किसानों ने उन्ही फसलों की बुआई को प्राथमिकता दी है।
जोशी के अनुसार हैरानी नहीं होनी चाहिए कि जब फसल तैयार हो तो उनकी कीमतें एक बार फिर से जमीन पर आ जाएं और किसान अपने को ठगा सा महसूस करें।
देश में बुआई के क्षेत्रफल की तुलना (आंकड़े हेक्टेयर में)
जिंस 10 दिसंबर 10 दिसंबर 2008 2009गेहूं 216.02 217.28चना 71.06 73.12मसूर 13.70 15.29सरसों 63.29 60.85कीमतें (रु. प्रति क्विंटल में)
जिंस दिसंबर दिसंबर 2008 2009गेहूं 1150 1420चना 2060 2520मसूर 4340 4410सरसों 480 ६३० (बीएस हिन्दी)
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