नई दिल्ली December 16, 2009
प्रशासनिक बोझ और क्रियान्वयन के खर्चे कम करने के लिए जीएसटी पर गठित तेरहवें वित्त आयोग के कार्यबल ने कहा है कि सोने, चांदी, प्लैटिनम, कीमती नग और अन्य सर्राफा के डीलरों को 40 लाख की अधिकतम सीमा के बगैर कंपाउंडेड लेवी चुनने का अधिकार मिलना चाहिए।
यह सिफारिश इसलिए की गई है क्योंकि ऊंचे कर के चलते महंगे उत्पादों के स्मगल होने का खतरा होता है। गौरतलब है कि इस कार्यबल ने सभी सामान और सेवाओं पर 5 फीसदी केंद्रीय जीएसटी और 7 फीसदी राज्य जीएसटी लगाने की सिफारिश की है। हालांकि 5 विशिष्ट श्रेणियों को इससे मुक्त रखने की बात भी कार्यबल ने कही है।
10 से 40 लाख का कारोबार करने वालों पर केंद्रीय जीएसटी और राज्य जीएसटी दोनों का संयुक्त 1 फीसदी कंपाउड लेवी लगाने का प्रस्ताव किया है। कंपाउड लेवी या छूट पाने वाले डीलरों को खरीदारी करने पर कोई इनपुट क्रेडिट नहीं मिलेगा।
अंतरराज्ययीय लेनदेन के लिए इस कार्यबल ने अपनी रिपोर्ट में संशोधित बैंक मॉडल अपना कर शून्य दर का ढांचा अपनाने की सिफारिश की है। रिपोर्ट का सुझाव है कि राज्य जीएसटी के 7 फीसदी कर संग्रह की राशि राज्य सरकार को मिले और यह राज्य वित्त आयोग की सिफारिश के मुताबिक स्थानीय स्वशासन तक पहुंचे।
छूट सूची में केंद्र, राज्य और स्थानीय सरकारों की लोक सेवाएं, नियोक्ता और कर्मचारियों के बीच सेवा का आदान-प्रदान, जनवितरण प्रणाली के जरिए बेचे जाने वाले अप्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, गैरसरकारी एजेंसियों की शैक्षिक और स्वास्थ्य सेवाएं शामिल होंगी। हालांकि लोक सेवाओं में रेलवे, डाक और टेलीग्राफ शामिल नहीं होंगी। (बीएस हिन्दी)
17 दिसंबर 2009
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