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14 दिसंबर 2009

शरिया सम्मत होने से सोने से मुनाफावसूली कर रहा मुस्लिम समुदाय

मुंबई : इस साल स्कैप और पुरानी ज्वैलरी की बिक्री में 10 से 15 फीसदी का उछाल आने की पूरी उम्मीद नजर आ रही है। सर्राफा जानकारों के मुताबिक, इस समय मुनाफावसूली और बिकवाली के जोर के कारण पुराने गहनों और स्क्रैप गोल्ड की बिक्री में तेजी दर्ज की जा रही है। इस पूरे मामले में एक आश्चर्यजनक तथ्य यह भी है कि स्क्रैप गोल्ड और पुरानी ज्वैलरी की बिक्री में मुस्लिम समुदाय भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रहा है। मुस्लिम समुदाय में स्क्रैप गोल्ड की बिक्री के बढ़ रहे रुझान की एक बड़ी वजह इसका शरिया सम्मत होना भी है। इस्लामिक कानून यानी शरिया के तहत ब्याज के जरिए आमदनी को उचित नहीं माना गया है। चूंकि सोने की बिक्री में ब्याज का कोई योगदान नहीं है, ऐसे में मुस्लिम समुदाय के लिए हाजिर बाजार से सोने की खरीद या बिक्री पर कोई प्रतिबंध नहीं है और यह समुदाय सोने की आसमान छू रही कीमतों के दौर में सोने से जमकर मुनाफा भी वसूल रहा है। तकवा एडवाइजरी एंड शरिया इनवेस्टमेंट सॉल्यूशंस (तासिस) के कराए जा रहे सर्वे से एक और बात निकलकर सामने आ रही है कि बंगलुरु के मुस्लिम समुदाय के 5,000 रुपए या उससे ज्यादा मासिक बचत वाले परिवारों ने सोने को एक निवेश के विकल्प के तौर पर चुना है। तासिस एक संगठन है जो भारतीय कानूनी तंत्र के तहत ही शरिया सलाह और निवेश सॉल्यूशंस मुहैया कराता है। तासिस के निदेशक डॉ। शारिक निसार के मुताबिक, 'इसकी वजह यह है कि यहां पर इस्लामिक बैंकों या इस्लामिक निवेश विकल्पों की कमी है।' निसार के मुताबिक, 'यहां पर कर्ज मुक्त और शराब, तम्बाकू या कर्ज और उधारी के कारोबार नहीं करने वाली लिस्टेड कंपनियों में निवेश का विकल्प मौजूद है, लेकिन यहां पर भी एक दिक्कत है। मसलन, कर्ज मुक्त कंपनियां भी अपने पास मौजूद अतिरिक्त पूंजी का निवेश ब्याज आमदनी वाली संपत्तियों में करती हैं। ऐसे में हम लोगों को कम इस्लामिक कानूनों के उल्लंघन वाली कंपनियों में निवेश से आगाह करते हैं। ऐसे में लोग अपने पास मौजूद रकम का निवेश सोने में करते हैं और कीमतों में आने वाले उछाल से मुनाफा कमाते हैं।' तासिस को अपने सवेर् में अब तक यह पता चला है कि बंगलुरु में मुस्लिमों की अच्छी संख्या सोने के कारोबार में इस वजह से लगी हुई है क्योंकि शरिया कानून के हिसाब से यह जायज है। बंगुलरु के अलावा दूसरे छह शहरों- मुंबई, दिल्ली और हैदराबाद के नतीजे अभी आने बाकी हैं। इन शहरों के नतीजे अगले पखवाड़े तक आ जाने की उम्मीद है। मुंबई में भी इसी तरह के ट्रेंड रहने के आसार हैं। मुंबई के झावेरी बाजार स्थित स्क्रैप गोल्ड और पुराने गहनों के दिग्गज कारोबारी जुगराज कांतिलाल के पार्टनर जितेंद कांतिलाल के मुताबिक, 'पुरानी ज्वैलरी के बदले नई ज्वैलरी खरीदने और स्क्रैप बिक्री का सबसे ज्यादा रुझान बोहरा मुस्लिम समुदाय में देखा गया है।' जुगराज कांतिलाल के यहां स्क्रैप और पुरानी ज्वैलरी की सालाना खरीद करीब 1,000 किलो है। सिटीग्रुप इंडिया की हालिया रिपोर्ट ने र्वल्ड गोल्ड काउंसिल (डब्ल्यूजीसी) के उस आंकड़े का उल्लेख किया है कि देश में इस साल पहले नौ महीने में सोने की मांग 264 टन रही है जबकि पिछले साल की इसी अवधि में यह मांग 553 टन थी। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि उपभोक्ताओं ने अपनी मांग को पुराने आइटमों के विनिमय से पूरा किया है। डब्ल्यूजीसी के मुताबिक, हालिया तिमाहियों में कुल रीटेल टर्नओवर का करीब 60 फीसदी हिस्सा विनिमय गतिविधियों से आया है। ईटीआईजी आंकड़ों के मुताबिक, 99.5 फीसदी शुद्धता वाले सोने के हाजिर भाव में मुंबई में इस साल अब तक 27 फीसदी का उछाल आया है और यह 17,305 रुपए प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया है। (बीएस हिन्दी)

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