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14 दिसंबर 2009

जिसके पास चांदी, उसकी होगी चांदी

सोने की तरह चांदी ने भी नई ऊंचाइयों को छूना शुरू कर दिया है। इसकी अहम वजह है, सोने की तेजी से बढ़ती कीमत और उसकी डिमांड में कमी। इस फैक्टर ने फॉरन इन्वेस्टरों को चांदी की तरफ मोड़ है। मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि जिस हिसाब से चांदी की डिमांड में इजाफा हो रहा है, उसे देखते हुए संभावना बन रही है कि आने वाले समय में चांदी तेजी के नए रेकॉर्ड बनाए। ऐसे हालात में चांदी की खरीदारी और उसमें इनवेस्टमेंट कितना फायदेमंद हो सकता है, बता रहे हैं जोसफ बर्नाडः चांदी का चमत्कार! भारत में सोने की जूलरी पहनना, सोने के सिक्के देना न सिर्फ फैशन बल्कि सोशल स्टेटस का हिस्सा भी है। यही वजह है कि अधिकांश लोगों की आदत और पहली पसंद सोना खरीदने की रही है। मगर धीरे-धीरे चांदी ने भी अपना चमत्कार दिखाना शुरू कर दिया है। इसकी पहली वजह है, सोने में चल रही जोरदार तेजी। इसके अलावा सबसे खास वजह फॉरन इन्वेस्टरों का इस मेटल में जोरदार इन्वेस्टमेंट भी है। सोने में तेजी के बाद आम ग्राहकों ने भी बतौर खरीदार चांदी के मार्केट की तरफ रुख करना शुरू कर दिया है। मार्केट की थिअरी है कि डिमांड बढ़ने पर कीमत भी बढ़ती है। इसी के हिसाब से चांदी ने भी तेजी के रेकॉर्ड बनाने शुरू कर दिए। इनवेस्टमेंट का फंडा मार्केट एक्सपर्ट्स की मानें तो चांदी में लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट के लिए यह सबसे बेहतरीन वक्त है। फिलहाल मार्केट का जो सीन है, उसे देखकर लग रहा है कि आने वाले वक्त में चांदी की कीमत 30 हजार रुपये प्रति किलो या उससे भी ज्यादा हो सकती है। बेशक, अभी कुछ दिनों तक इसमें उतार-चढ़ाव का रुख कायम रह सकता है। विनायक इंक के सीएमडी विजय सिंह मानते हैं कि सोने के मुकाबले चांदी के आगे बढ़ने के ज्यादा आसार हैं। इसकी वजह है, मार्केट में चांदी की बढ़ती पैठ। चांदी इन्वेस्टरों, कॉर्पोरेट और आम ग्राहकों की चहेती बन गई है। गिफ्ट, जूलरी से लेकर त्योहारी सीजन में खरीदारी के लिए पहली चॉइस। अब लोगों ने चांदी को बड़े पैमाने पर अपनाना शुरू कर दिया है। इस वजह से फॉरन इन्वेस्टर भी भारी इन्वेस्टमेंट कर और साथ ही फ्यूचर ट्रेडिंग के जरिए भी चांदी को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने में जुट गए हैं। ऐसे में अगर कोई लॉन्ग टर्म की स्ट्रैटिजी बनाते हुए चांदी में इन्वेस्टमेंट करेगा तो उसे काफी फायदा होगा। इनवेस्टमेंट के तरीके चांदी में खास तौर पर दो तरीकों से इन्वेस्टमेंट किया जा सकता है। सीधे तौर पर चांदी की खरीदारी कर और वायदा कारोबार के जरिए, जिसे सिल्वर मिनी इन्वेस्टमेंट भी कहा जाता है। सीधे तौर पर खरीदारी यानी मार्केट में जूलरी की शॉप से शुद्ध चांदी की खरीद। इस चांदी को कुछ समय अपने पास रखें और दाम चढ़ने पर बाजार में बेच दें। इनवेस्टमेंट का दूसरा तरीका काफी दिलचस्प है और ज्यादा मुनाफे वाला भी है। कमॉडिटी एक्सचेंज में जहां चांदी का वायदा कारोबार होता है, उसमें आप चांदी के एवज में इन्वेस्टमेंट कर फायदा कमा सकते हैं। इसे सिल्वर मिनी कहा जाता है। इसमें इन्वेस्टमेंट का फंडा काफी दिलचस्प है। अगर आप एक सिल्वर मिनी यानी 100 ग्राम में इन्वेस्टमेंट करना चाहते हैं तो आपको 5000 रुपये की मार्जिन मनी देना होगा। आपका इन्वेस्टमेंट तीन महीने के लिए होगा। तीन महीने बाद आपको एक के पांच मिलेंगे। मसलन, आपने 28,000 रुपये प्रति किलो चांदी की कीमत पर एक सिल्वर मिनी में इन्वेस्टमेंट किया। आपने पांच हजार रुपये मार्जिन मनी के रूप में दे दिए। तीन महीने बाद चांदी की कीमत 28,200 रुपये प्रति किलो हो गई तो आपको 5000 रुपयों के साथ-साथ बढ़े हुए 200 रुपयों का पांच गुना यानी 1000 रुपये भी मिलेंगे यानी कुल मिलाकर 6000 रुपये। यह इनवेस्टमेंट पांच में से किसी एक कमॉडिटी एक्सचेंज में किया जा सकता है। इसमें आपको यह सुविधा भी होगी कि आप बीच में ही चांदी की कीमत में बढ़ोतरी को देखते हुए इसे किसी और को बेच सकते हैं। सुदामा डायमंड जूलर के एमडी संजय गुप्ता का कहना है कि चांदी में इस तरह से इन्वेस्टमेंट करके मुनाफा कमाया जा सकता है। इसके लिए बस बाजार की स्टडी करनी होगी। यह देखना होगा कि किस अवधि में चांदी कैसे बढ़ेगी। यह इसलिए भी सेफ है कि इसमें आपको इन्वेस्टमेंट का पूरा धन नहीं देना होगा। सिर्फ मार्जिन मनी देनी होगी। ऐसे में अगर चांदी की कीमत नहीं बढ़ी या बढ़ने के बजाय गिर गई तो आपको नुकसान नहीं होगा। अवधि पूरी होने के बाद आप अपनी मार्जिन मनी वापस ले सकते हैं। सीधी खरीदारी भी फायदेमंद आप जब भी शुद्ध चांदी खरीदें तो सुनिश्चित करें कि वह .999 टच की होनी चाहिए। इसका मतलब यह है कि आप जो चांदी खरीद रहे हैं, वह 100 फीसदी शुद्ध और 24 कैरट की है। इस तरह की चांदी खरीदकर बेचने पर कोई कट नहीं लगता और आपको मार्केट वैल्यू के हिसाब से पूरी कीमत मिलती है। अगर चांदी की जूलरी खरीदें, तो चांदी 22 कैरट की लें। इसमें हॉलमार्क का निशान होना चाहिए। 22 कैरट की चांदी की जूलरी की रिसाइकिलिंग पर यानी उसे दोबारा बेचने पर अधिकतम कट 10 पर्सेंट का रहेगा यानी कीमत मौजूदा मार्केट वैल्यू से 10 फीसदी कम मिलेगी। मार्केट में चांदी की 18 कैरट की जूलरी भी मिलती है। इसे खरीदने से बचें। बेशक शुरुआत में यह सस्ता सौदा लगेगा, मगर बाद में यह आपको काफी नुकसान पहुंचा सकता है। 18 कैरट चांदी से बनी चांदी की जूलरी को दोबारा मार्केट में बेचने पर 18 से 25 फीसदी का कट लग सकता है। यानी कीमत 18 से 25 फीसदी कम मिल सकती है। चांदी के एवज में लोन नॉनबैंकिंग फाइनैंशल कंपनियों (मसलन, गोकुल, मुत्थूट आदि) ने अब चांदी के बदले में लोन देना शुरू कर दिया है। अगर आपके पास चांदी की जूलरी है या शुद्ध चांदी है और आपको पैसों की जरूरत है, मगर बैंक या दूसरे वित्तीय संस्थानों से पैसा नहीं मिल रहा है तो आप चांदी गिरवी रखकर लोन ले सकते हैं। आपके पास जितनी चांदी है, उसकी मौजूदा मार्केट वैल्यू का करीब 70 से 75 फीसदी तक का अमाउंट बतौर लोन नॉनबैंकिंग फाइनैंशल कंपनियों से मिल सकता है। आमतौर पर इनका इंटरेस्ट रेट 12 से 13 फीसदी के बीच रहता है। फिलहाल नॉनबैंकिंग फाइनैंशल कंपनियां ही चांदी के बदले में लोन दे रही हैं। मार्केट का मूड देखते हुए कुछ प्राइवेट बैंकों ने संकेत दिया है कि वे भी अब चांदी के बदले में लोन देने का मन बना रही हैं। अगर ऐसा हुआ तो उन लोगों के लिए यह स्कीम काफी फायदे की साबित होगी, जिनके पास चांदी अच्छी-खासी मात्रा है। मार्केट एक्सपर्ट के. के. मदान का कहना है कि चांदी की वैल्यू का ज्ञान अब लोगों को हो रहा है। पहले लोग इस बारे में जानने को ज्यादा उत्सुक रहते थे कि हमारे घरों में कितना सोना है। मगर अब चांदी कितनी है, उसका भी हिसाब-किताब रखा जा रहा है। मिडल और लो-मिडल क्लास के पास चांदी भी काफी मात्रा में हैं। ऐसे में वे लोग, जो छोटा-मोटा बिजनस करते हैं या वह मिडल क्लास जिसने पहले ही होम लोन ले रखा है और अब उसे अपने बच्चों की पढ़ाई या दूसरे कामों के लिए लोन चाहिए, वह चांदी के बदले में लोन का फायदा उठा सकता है।दिया (ई टी हिन्दी)

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