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01 दिसंबर 2009

वनस्पति तेल होंगे सेहत के अनुकूल

नई दिल्ली November 30, 2009
ट्रांस फैट (ट्रांस-आइसोमर फैटी एसिड; टीएफए) युक्त खाद्य पदार्थों से होने वाले हार्टअटैक के खतरे को कम करने के लिए सरकार आंशिक हाइड्रोजनीकृत वनस्पति तेलों में टीएफए की सीमा 10 फीसदी निश्चित करने पर गंभीरता से विचार कर रही है।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की स्वायत्त सांविधानिक संस्था भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने इस मसले पर एक प्रस्ताव तैयार किया है और इसे अपने भागीदारों के समक्ष पेश किया है। प्राधिकरण की योजना 10 फीसदी की सीमा को जनवरी 2010 से लागू करने की है।
एफएसएसएआई के अध्यक्ष पी. आई. सुव्रतन ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, 'वनस्पति तेलों में टीएफए होने से पैकेज्ड खाद्य पदार्थों (तेलों में तले जाने वाले) में टीएफए की मात्रा स्वत: ही कम हो जाएगी। हमारी योजना अगले 3 साल में इस सीमा को घटाकर 5 फीसदी तक लाने की है।' डेनमार्क, कनाडा, अमेरिका और कुछ अन्य यूरोपीय देशों में टीएफए पर सीमा पहले से ही तय है।
मालूम हो कि टीएफए खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ा देती है। इतना ही नहीं वह खून में एचडीएल की मात्रा घटाकर अन्य नुकसानदेह वसा को भी बढ़ा देती है। महिलाओं के बारे में बताया जाता है कि टीएफए उनमें हार्टअटैक के खतरे को दोगुना कर देती है। यह बूढ़ों और बच्चों को भी नुकसान पहुंचाती है।
औद्योगिक स्तर पर टीएफए को आंशिक हाइड्रोजनीकरण (तरल वनस्पति तेल को सख्त बनाने और जमाने के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया) के जरिए तैयार किया जाता है। अब तक वनस्पति तेलों में टीएफए का स्तर 40 फीसदी तक हो सकता है।
देश में खाद्य वनस्पति तेलों और वसा की सालाना खपत 1.3 करोड़ टन से भी ज्यादा है। देश का वनस्पति उद्योग करीब 5-6 हजार करोड़ रुपये के होने का अनुमान है। अनुमान है कि इसमें करीब 30 से 40 हजार लोग प्रत्यक्ष तौर पर जुड़े हैं। इतना ही नहीं इसकी पैकेजिंग और ढुलाई से भी काफी बड़ी संख्या में लोग जुड़े हैं।
इस नियमन से डालडा, धारा, कमानी, रुचि सोया, एग्रो पैक और कारगिल जैसी कंपनियों पर असर होगा। उद्योग ने बताया कि टीएफए को घटाकर 10 फीसदी करने से उत्पाद का गलनांक बढ़ जाएगा। ऐसा होने पर उत्पाद का गलनांक खाद्य अपमिश्रण रोकथाम अधिनियम (पीएफए) द्वारा 41 डिग्री की निश्चित सीमा से ज्यादा हो जाएगा। गलनांक मसले पर सरकार छूट देने के मूड में नहीं है।
देश की बड़ी वनस्पति तेल कंपनी के एक शीर्ष अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, 'अमेरिका में भी 48 डिग्री के गलनांक की इजाजत है। विज्ञान कहता है कि 50 डिग्री तक का गलनांक सुरक्षित है।' उन्होंने दावा किया कि डेनमार्क, कनाडा और अमेरिका ने भी टीएफए नियमन के लिए जिस कोडेक्स मानक का अनुसरण किया है, उसमें किसी अधिकतम गलनांक का जिक्र नहीं है। (बीएस हिन्दी)

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