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16 दिसंबर 2009

पैदावार ज्यादा होने पर भी आलू के दाम पिछले साल से ज्यादा

इस साल आलू की ज्यादा पैदावार होने की संभावना के बावजूद दाम पिछले साल से ऊंचे चल रहे हैं। लेकिन जल्दी ही प्रमुख उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश की सप्लाई का दबाव बढ़ने पर आलू के थोक और फुटकर मूल्य में गिरावट आ सकती है। आलू के मूल्य का एक पहलू यह भी है कि फुटकर मूल्य पिछले साल से जितने ऊंचे चल रहे हैं, उतने ऊंचा दाम किसानों को थोक बाजार में नहीं मिल पा रहा है। फायदा थोक और फुटकर व्यापारी उठा रहे हैं।पंजाब में जालंधर जिले के आलू किसान जंगबहादुर सिंह ने बिजनेस भास्कर को बताया कि किसानों को मंडी में आलू के दाम 500-600 रुपये प्रति क्विंटल मिल रहे हैं जबकि उपभोक्ताओं को इसकी कीमत 10-12 रुपये प्रति किलो चुकानी पड़ रही हैं। इसी तरह उत्तर प्रदेश में हापुड़ के रसूलपुर गांव के निवासी आलू उत्पादक सतेंद्र सिह का कहना है कि खुदरा बाजार के मुकाबले किसानों को आलू के दाम करीब-करीब आधे मिल रहे हैं। इसी वजह से खुदरा बाजार की मूल्य वृद्धि के अनुपात में किसानों की आय नहीं बढ़ी। हालांकि पिछले साल के मुकाबले इस बार किसानों को आलू के अधिक दाम मिले हैं। उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के सरैया छावनी गांव के आलू किसान बटुकनारायण मिश्रा के अनुसार पिछले साल किसानों को इन दिनों आलू के दाम 300-400 रुपये प्रति क्विंटल मिले थे। जबकि इस साल उन्हें इसके दाम 600-700 रुपये प्रति क्विंटल मिल रहे हैं। इस तरह किसानों को पिछले साल से करीब दोगुने दाम मिल रहे हैं। उनका कहना है कि चालू सीजन के दौरान उत्तर प्रदेश में आलू की पैदावार अच्छी होने की संभावना है। दरअसल पिछले सीजन में आलू के दाम अधिक मिलने के कारण किसानों ने इसकी बुवाई अधिक की है। मिश्रा के मुताबिक आगे मौसम अनुकूल रहने पर इसकी पैदावार पिछले साल से अधिक रहने के आसार हैं। पंजाब के आलू किसान जंगबहादुर सिंह का कहना है कि पंजाब में भी इस साल भी आलू की बुवाई अधिक हुई है, लेकिन इस बार सर्दी अधिक पड़ने की वजह से पंजाब में पैदावार में बहुत अधिक बढ़ोतरी की संभावना नहीं है। उनका कहना है कि अधिक सर्दी होने पर आलू की फसल पर पाला अधिक पड़ता है। जिससे आलू को नुकसान होता है। अच्छी पैदावार के बावजूद आलू के दाम ऊंचे चल रहे हैं लेकिन सप्लाई का दबाव बढ़ने पर दाम नीचे आ सकते हैं। लेकिन इस साल मूल्यों में गिरावट थोड़ी कम रहेगी। इसकी वजह कोल्ड स्टोर में आलू का स्टॉक जल्द खत्म होना हैं। आमतौर पर कोल्ड स्टोर संचालक 15 दिसंबर के बाद स्टोर खाली करवाने के लिए किसानों पर दबाव डालते हैं, लेकिन पिछले महीनों में मांग अच्छी रहने से नवंबर में ही कोल्ड स्टोर खाली हो गए। ऐसे में फरवरी तक आलू की मंडियों में सप्लाई होने के आसार हैं। जिसका दबाव आलू की कीमतों पर पड़ेगा। पिछले साल कोल्ड स्टोर वालों द्वारा स्टोर से आलू खाली करवाने की वजह किसानों को इसे औने-पौने भाव पर बेचना पड़ा था। (बिज़नस भास्कर)

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