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16 दिसंबर 2009

बासमती के निर्यात मूल्य से विदेशी कमीशन अलग

सरकार ने बासमती चावल के निर्यात मूल्य से विदेशी कमीशन को अलग करने के लिए औपचारिक आदेश जारी कर दिया। इस तरह से बासमती का न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) एक तरह से बढ़ गया है।सोमवार को जारी अधिसूचना के मुताबिक नया आदेश तत्काल प्रभाव से लागू किया गया है। अधिसूचना के अनुसार निर्यात सौदों के लिए विदेशी कंपनियों को दिया जाने वाला कमीशन अब एमईपी में शामिल नहीं किया जा सकेगा। बासमती चावल का मौजूदा एमईपी 900 डॉलर प्रति टन है।इससे पहले सरकार ने 12।5 फीसदी तक विदेशी कमीशन को बासमती चावल के निर्यात मूल्य में शामिल करने की अनुमति दी गई थी। इस फैसले से पाकिस्तान व दूसरे बासमती चावल निर्यातक देशों के मुकाबले भारतीय निर्यातकों को मिलने वाली सहूलियत खत्म हो गई है। सरकार ने पिछले सितंबर में बासमती का एमईपी 1100 डॉलर से घटाकर 900 डॉलर प्रति टन तय किया था।विदेशी कमीशन को एमईपी से अलग किए जाने से निर्यातकों के लिए विदेशी खरीदारों से सौदे करना थोड़ा कठिन हो जाएगा। पिछले मानसून के सीजन में बारिश कम होने से चावल का उत्पादन गिरने की आशंका है। पिछले सीजन में बारिश 37 साल के न्यूनतम स्तर पर रह गई।उद्योग के जानकारों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से नवंबर के दौरान करीब 15 लाख टन बासमती चावल निर्यात के सौदे हुए। जबकि बीते वित्त वर्ष 2008-09 के दौरान कुल 15 लाख टन बासमती का निर्यात किया गया था। दूसरी ओर निर्यातकों को उम्मीद है कि सरकार के इस फैसले से निर्यात पर कोई प्रतिकूल असर नहीं होगा क्योंकि विदेशों में भारतीय बासमती चावल की मांग अच्छी है। इसके अलावा इस समय निर्यात सौदे भी करीब एक हजार डॉलर प्रति टन से ऊंचे भाव पर ही हो रहे हैं। पिछले सितंबर में एमईपी 1100 डॉलर से घटाकर 900 डॉलर प्रति टन कर दिया था। इससे निर्यातकों को नए सौदे करने में थोड़ी राहत मिली लेकिन अब एक तरह से निर्यात मूल्य पिछले स्तर पर ही पहुंच गया। (बिज़नस भास्कर)

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