नई दिल्ली December 02, 2009
दुबई ऋण संकट का बासमती चावल के निर्यात पर फिलहाल कोई असरनहीं पड़ा है।
लेकिन ईरान के इस संकट से प्रभावित होने पर चावल निर्यात पर असर पड़ने की आशंका जतायी जा रही है। क्योंकि ईरान का काफी कारोबार दुबई के जरिए होता है। वैसे बासमती चावल निर्यात की स्थिति पिछले साल के मुकाबले मजबूत नजर आ रही है।
गत अक्टूबर माह में 1.60 लाख टन बासमती चावल का निर्यात किया गया जबकि पिछले साल की समान अवधि के दौरान यह निर्यात मात्र 90,000 टन का था। नवंबर माह में भी बासमती चावल का निर्यात कमोबेश अक्टूबर की तरह रहने का अनुमान लगाया गया है।
बासमती चावल निर्यातकों के मुताबिक सऊदी अरब के चावल आयातकों को मिलने वाली सब्सिडी खत्म होने से चावल निर्यात पर कोई असर नहीं पड़ेगा। निर्यातकों ने बताया कि वर्ष 2007 के दौरान बासमती चावल की कीमत 1500-1600 डॉलर प्रति टन हो गई थी। कीमत अधिक होने के कारण सऊदी अरब की सरकार ने चावल आयातकों को सब्सिडी दी थी।
अब बासमती चावल के भाव 1000-1100 डॉलर प्रति टन चल रहे हैं। इसलिए उनकी सब्सिडी बंद की गई है। और इससे भारत के चावल निर्यात पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। लेकिन पाकिस्तान अब भी भारत के मुकाबले कम कीमत पर बासमती चावल का निर्यात कर रहा है। पाकिस्तान से निर्यात होने वाले चावल की कीमत 850 डॉलर प्रति टन है।
बासमती चावल निर्यात संघ के पूर्व अध्यक्ष विजय सेतिया कहते हैं, 'सरकार को बासमती चावल के निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए कुछ सकारात्मक कदम उठाने चाहिए। सरकारी स्तर पर हमारे उत्पाद की कोई मार्केटिंग नहीं की जाती है। हम कभी इस बात का प्रचार नहीं करते हैं कि हमारे देश का बासमती चावल सर्वोत्तम है।'
बासमती चावल के भावों में हो रहे उतार-चढ़ाव के बारे में निर्यातकों का कहना है कि अधिकतर चावल मिलों ने अपनी क्षमता के मुताबिक बासमती धान की खरीदारी कर ली है। इस साल बासमती धान का उत्पादन पिछले साल के मुकाबले 15 फीसदी से भी अधिक है। इसलिए बासमती चावल की कीमत पिछले साल के मुकाबले कम ही रहने की पूरी संभावना है।
निर्यातक बताते हैं कि दुबई ऋण संकट की परत अभी पूरी तरह नहीं खुली है। मामले का पूरा खुलासा होने के बाद ही पता चल पाएगा कि खाड़ी के कौन-कौन से देश इससे प्रभावित हुए हैं। (बीएस हिन्दी)
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