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05 दिसंबर 2009

गन्ना विधेयक में अध्यादेश के विवादास्पद हिस्से हटे

केंद्र सरकार द्वारा देश में लेवी चीनी के लिए गन्ने की समान मूल्य व्यवस्था फेयर एंड रिम्यूनरेटिव प्राइस (एफआरपी) लागू करने के लिए आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2009 शुक्रवार को लोकसभा में पेश कर दिया। यह विधेयक 21 अक्तूबर को जारी उस विवादास्पद अध्यादेश के स्थान पर लाया गया है जिसको लेकर किसानों ने देश के कई हिस्सों में आंदोलन किया था। वहीं दिल्ली में किसानों के विशाल प्रदर्शन और संसद में इसके विरोध में विपक्ष की एकजुटता के चलते सरकार ने गन्ना मूल्य के लिए अध्यादेश और गन्ना नियंत्रण आदेश के प्रावधानों में बदलाव का फैसला लिया था।
इस विधेयक राज्य सरकारों द्वारा घोषित किये जाने वाले राज्य परामर्श मूल्य और गन्ना नियंत्रण आदेश, 1966 में धारा पांच (ए) के तहत किसानों के साथ चीनी मिलों मुनाफे में हिस्सेदारी के प्रावधानों को न्यूनतम मूल्य से अलग कर लिया गया है। इसमें स्पष्टीकरण देते हुए कहा गया है कि न्यूनतम मूल्य में उक्त अतिरिक्त मूल्य शामिल नहीं है। इसलिए लेवी चीनी के मूल्य के लिए गन्ने के मूल्य में केवल न्यूनतम वैधानिक मूल्य (एसएमपी) ही शामिल होगा।
अध्यादेश के मुकाबले विधेयक में इस प्रावधान के चलते सरकार ने राज्यों के एसएपी के अधिकार को बरकरार रखने की रणनीति अपनाई है। इसके साथ ही न्यूनतम मूल्य को स्पष्ट करते हुए सरकार पर चीनी मिलों द्वारा बताए जा रहे करीब 14,000 करोड़ रुपये के बकाए से छुटकारा पाने का प्रावधान भी हो गया है। इसके चलते अब गन्ना नियंत्रण आदेश में संशोधन का कोई मतलब नहीं रह गया है। (बिज़नस भास्कर)

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