मुंबई December 15, 2009
बिजली, दूरसंचार और हाउसिंग क्षेत्र से भारी मांग के चलते भारत में तांबे की खपत इस साल 5-6 प्रतिशत बढ़ सकती है।
पिछले साल उच्च आर्थिक विकास के चलते 5.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी। भारत में तांबे की कुल खपत में इन 3 क्षेत्रों का योगदान 65 प्रतिशत है। इस वृध्दि दर के साथ भारत में तांबे की कुल खपत अगले साल तक 5.5 लाख टन के स्तर को छू जाएगी।
बिजली, औद्योगिक मशीनरी और उपकरणों, कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स और कंस्ट्रक्शन क्षेत्र में सस्ती वैकल्पिक धातुओं की जगत तांबे के इस्तेमाल को महत्व दिया जाता है। तांबा विद्युत का सबसे बढ़िया चालक है और इसका उपयोग अस्पतालों में होता है, क्योंकि इसमें बैक्टीरिया रोधी गुण होते हैं।
आईसीआरए मैनेजमेंट कंसल्टिंग सर्विसेज की हाल की रिपोर्ट के मुताबिक देश में तांबे की खपत 5.3 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी, जो पिछले साल 5.2 लाख टन थी। औद्योगिक उत्पादन में मंदी और उच्च कीमतों के बावजूद खपत में बढ़ोतरी के अनुमान हैं।
1990 के दशक में तांबे की सालाना खपत 1-1.5 लाख टन के आसपास बनी रही। खपत में धीमी गति से बढ़ोतरी मुख्य रूप से सीमित घरेलू क्षमता और आपूर्ति, भारी आयात शुल्क (कच्चे और तैयार माल पर), दूरसंचार क्षेत्र और पॉवर क्षेत्र के विकास में अपर्याप्त और कम निवेश और उच्च कीमतों के चलते रही।
बहरहाल, 2004-08 के दौरान खपत में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई। भारत में अभी भी तांबे की प्रति व्यक्ति खपत 0.4 किलो है, जबकि पड़ोसी देश चीन में इसकी खपत 4 किलो है। 1990 के दशक के बाद दूरसंचार क्षेत्र में खपत सबसे ज्यादा रही। कुल मांग की 30-35 खपत इस क्षेत्र में हुई। दूरसंचार क्षेत्र में नेटवर्क विस्तार में तेजी के चलते खपत में तेज बढ़ोतरी हुई।
तांबा उद्योग में वृध्दि बिजली और दूरसंचार केबल, ट्रांसफारमर, जेनरेटर, रेडिएटर और अन्य इस तरह के सामानों के क्षेत्र में मांग और इन क्षेत्रों के प्रदर्शन पर बहुत ज्यादा निर्भर होता है। इस तरह से इसका विकास बहुत निकट से देश की आर्थिक वृध्दि और औद्योगिक विकास से जुड़ा है।
एक विश्लेषक ने कहा कि देश के सकल घरेलू उत्पाद में 7 प्रतिशत की वृध्दि के अनुमान हैं, जिससे तांबे की मांग में बढ़ोतरी 6 प्रतिशत से ज्यादा हो सकती है। सामान्यतया तांबे की खपत का जुड़ाव जीडीपी में बढ़ोतरी से होता है। दूरसंचार क्षेत्र में मांग में गिरावट में संकेत के बाद विद्युत क्षेत्र सबसे बड़ा उपभोक्ता है।
सरकार द्वारा हाल में एसईबी के पुनर्गठन, इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 और पारेषण और वितरण में तेजी के कदमों से संकेत मिला है कि बिजली के क्षेत्र में निवेश बढ़ेगा। 11वीं पंचवर्षीय योजना (2008-12) के दौरान बिजली उत्पादन क्षमता में 78,700 मेगावॉट की बढ़ोतरी का अनुमान है।
11वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान बढ़ोतरी, पारेषण और वितरण पर निवेश से सीधे तौर पर जुड़ा है। बिजली पर गठित कार्य समूह के मुताबिक इस तौयार कुल 8 लाख टन तांबे की जरूरत होगी और 2013-17 के बीचट 8.1 लाख टन तांबे की जरूरत होगी।
बहरहाल देश के प्राथमिक तांबा उत्पादों के तीन प्रमुख उत्पादकों, हिंडाल्को इंडस्ट्रीज, स्टरलाइट इंडस्ट्रीज और हिंदुस्तान कॉपर कुल 9.5 लाख टन प्रति वर्ष तांबे का उत्पादन करते हैं। इस तरह से भारत की कुल मांग को पूरा कर लिया जाएगा। देश में कुल मांग का 30-35 प्रतिशत हिस्से की आपूर्ति तांबे के कबाड़ को गलाने से पूरी होती है।
भारत में विभिन्न क्षेत्रों में तांबे की खपत के आंकड़े
क्षेत्र प्रयोग (%)बिजली 36दूरसंचार 20इंजीनियरिंग 9निर्माण व भवन निर्माण 9परिवहन 8उपभोक्ता वस्तुएं 6अन्य 12 (बीएस हिन्दी)
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