राजकोट December 15, 2009
सब कुछ सही रहा तो गुजरात में कच्छ के मरुस्थली इलाके में सेब की खेती की जाएगी।
श्री आशापुरा फार्म और नर्सरी नामक स्थानीय कंपनी ने भुज में प्रयोग के तौर पर इसकी खेती शुरू की है। राज्य में सेब की खेती पहली बार की जा रही है।
श्री आशापुरा फार्म और नर्सरी के बटुकसिंह जडेजा ने बताया, 'छोटे स्तर पर ही सही हम कच्छ-भुज में सेब उगाने की कोशिश कर रहे हैं। यहां का वातावरण शुष्क और गर्म है। हम इसके पौधे पहले ही लगा चुके हैं और अब यह फूल भी दे रहे हैं। इसमें फल लगना अभी बाकी है।
यहां का वातावरण शुष्क और गर्म है, जबकि सेब की खेती के लिए ठंडा मौसम चाहिए। इसलिए यहां सफल होने में थोड़ा वक्त लगेगा।' उन्होंने बताया, 'हमारी योजना ग्रीन हाउस में सेब का वृक्षारोपण करने की है, जहां सेब की खेती के लिए अनुकूल वातावरण बनाया जा सकेगा। हमें इस परियोजना में सफलता पाने की जल्दी नहीं है।'
वैसे आशापुरा फार्म ने काजू के 200-250 पौधे लगाकर 100 से 150 किलोग्राम काजू पैदा करने में कामयाबी हासिल की है। 45 साल पहले स्थापित आशापुरा फार्म और नर्सरी आम, पपीता, चीकू और कई सब्जियों की खेती करती है। अपने 125 एकड़ उपजाऊ भूमि में इसने कई फल और सब्जियां उत्पादित करने में सफलता हासिल की है।
पिछले कुछ साल में कंपनी ने नई तकनीक अपनाई है। पिछले 45 साल से यह कंपनी खेती के लिए म्यूजिक थेरेपी का सहारा ले रही है। कंपनी के मालिक का मानना है कि संगीत से पौधों को तरीके से बढ़ने में मदद मिलती है। कंपनी फल उत्पादन में काफी अग्रणी है। (बीएस हिन्दी)
16 दिसंबर 2009
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें