मुंबई December 15, 2009
कम कीमत के चलते देश में वनस्पति तेलों की खपत बीते खाद्य तेल वर्ष में 5 फीसदी बढक़र 13.5 किलोग्राम प्रति व्यक्ति के अप्रत्याशित स्तर तक पहुंच गई।
तेल वर्ष 2007 में इसकी प्रति व्यक्ति खपत 11.4 किलोग्राम रही थी। मशहूर खाद्य तेल विशेषज्ञ और गोदरेज इंटरनैशनल के निदेशक दोराब मिस्त्री ने दिल्ली में एक सेमिनार में अनुमान जताया कि देश में वनस्पति तेल की प्रति व्यक्ति खपत इसी गति से बढ़ती रहेगी।
उन्होंने कहा, 'भारतीय बाजार कीमत के लिहाज से बड़ा लचीला है। यहां तेलों की कीमत कम होने से उसके उपभोग में वृद्धि होती है। नवंबर 2008 से अक्टूबर 2009 तेल वर्ष में वनस्पति तेलों की प्रति व्यक्ति खपत में तेजी से इजाफा हुआ। इससे सूरजमुखी और सोयाबीन तेलों का आयात करने को बाध्य होना पड़ा।'
पाम तेल के आयात में भी वृद्धि हुई। यहां की रिफाइनरियों ने दोहरे पृथक्करण के जरिए सुपर ओलीन नामक तेल का विकास किया है। इस बीच, थोक बाजार में आरबीडी ओलीन की कीमत में जबरदस्त कमी हुई। अक्टूबर 2008 में यह घटकर 42 हजार रुपये प्रति टन तक पहुंच गया था। मार्च 2008 में इसका मूल्य प्रति टन 62 हजार रुपये था। नंवबर-दिसंबर में यह घटकर 30 हजार रुपये प्रति टन तक पहुंच गया।
सीजन 2008-09 में तेल का आयात साल भर पहले के 63 लाख टन से काफी ज्यादा बढ़कर 86 लाख टन हो गया। बायोईंधन के लिए मांग और डॉलर की तुलना में रुपये की मजबूती के चलते आरबीडी ओलीन की कीमत अभी 38 हजार रुपये प्रति टन पर है। एक विश्लेषक ने बताया कि कीमतें घटने से ग्रामीण उपभोक्ता रुपये के बजाय ग्राम के आधार पर खरीदारी करने लगे।
2008 की शुरुआत में सरकार ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की ऊंची कीमत को देखते हुए कच्चे अपरिष्कृत वनस्पति तेलों पर आयात शुल्क खत्म कर दिया, जबकि परिष्कृत वनस्पति तेलों पर आयात शुल्क को घटाकर 7.5 फीसदी कर दिया। 2008 की दूसरी छमाही और 2009 की शुरुआत में सरकार महंगाई नियंत्रण नीति पर चलती रही।
यह नीति जनता के बीच लोकप्रिय हुई और इसने मास्टरस्ट्रोक का काम किया। इसके चलते महंगाई दर शून्य तक लाने में कामयाबी मिली। दालों के काफी महंगा होने से भी मूंगफली और सोयाबीन जैसे तिलहनों का उपयोग बढ़ा। इसलिए उम्मीद है कि इस साल प्रति व्यक्ति तेल की खपत 4 से 5 फीसदी बढ़ जाएगी। देश की प्रति व्यक्ति आय भी लगातार बढ़ती जा रही है।
भारतीयों की प्रति व्यक्ति आय अब 1,000 डॉलर पार कर चुकी है। इस स्तर को उपभोग के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। मिस्त्री ने कहा कि सभी खाद्य उत्पादों के महंगा होने के बीच वनस्पति तेलों की कीमत उपभोक्ताओं को राहत दे रही है। (बीएस हिन्दी)
16 दिसंबर 2009
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