नई दिल्ली December 15, 2009
देश के 12 बड़े बंदरगाहों के 60,000 से ज्यादा पोर्ट और डॉक पर काम करने वाले कामगारों का प्रतिनिधित्व करने वाले 5 संगठनों ने हड़ताल का फैसला किया है।
इन्होंने मिलकर यह निर्णय किया है कि वे 4 जनवरी 2010 से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाएंगे। दरअसल संगठनों और प्रबंधन के बीच वेतन भत्तों को लेकर चल रही बातचीत विफल हो गई है।
आल इंडिया डॉक ऐंड पोर्ट वर्कर्स फेडरेशन के महासचिव एसके शेटी ने कहा, 'अब तक हुई बातचीत का कोई परिणाम नहीं निकला है। प्रबंधन ने कर्मचारियों को भत्ते के भुगतान पर बातचीत करने से मना कर दिया है। वे अपनी उन शर्तों पर वापस जा रहे हैं, जिस पर वे हाल में सहमत हुए थे। हमने 4 जनवरी 2010 से हड़ताल पर जाने का फैसला किया है।'
1 जनवरी 2007 से ही 60,000 कर्मचारियों के भत्तों पर एरियर दिया जाना बाकी है। पोर्ट मैनेजमेंट चाहता है कि तभी इन भत्तों का भुगतान किया जाए, जब इसके बारे में सहमति बन जाए, जिसका संगठन विरोध कर रहे हैं।
आल इंडिया पोर्ट ऐंड डॉक वर्कर्स फेडरेशन के अध्यक्ष एसआर कुलकर्णी ने कहा, 'बातचीत करने में 3 साल गुजर गए। इसका कामगारों पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। वहीं प्रबंधन तंत्र शुरुआती वेतन 8210 रुपये से कम, 7500 रुपये देने की बात कर रहा है। इन कदमों का असर 60,000 से ज्यादा कर्मचारियों और 1.6 लाख पेंशनभोगियों पर पड़ेगा।'
सूत्रों ने बताया कि पोर्ट ट्रस्ट के बार प्रस्तावित विरोध प्रदर्शन को टाल दिया गया है। संगठनों ने अपनी मांगों को प्रबंधनतंत्र के साथ इंडियन पोर्ट एसोसिएशन को भी भेज दिया है। जहाजरानी मंत्रालय ने 24 सदस्यों की द्विपक्षीय वेतन चर्चा समिति बनाई है, जिसमें प्रबंधन और फेडरेशन के बराबर-बराबर सदस्य हैं। इस समिति की 25 बैठकें हुई हैं, लेकिन बेनतीजा रहीं। (बीएस हिन्दी)
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