16 दिसंबर 2009
चीनी हुई महंगी...गज़क, रेवड़ी का स्वाद हुआ और गरम
नई दिल्ली : ठंड आते ही जयपुर की तिलपट्टी, मुरैना की मशहूर गजक और मेरठ की रेवड़ी का स्वाद याद आता है। हालांकि, इस बार इनका स्वाद लेने के लिए आपको अपनी जेब कुछ ज्यादा ढीली करनी पड़ेगी। पिछले कुछ महीनों में चीनी के दाम में काफी इजाफा हुआ है, जिसके कारण इन चीजों के दाम में भी अच्छी खासी बढ़त देखने को मिल रही है। पिछले साल की तुलना में इस साल गजक, तिलपट्टी और रेवड़ी की कीमतों में 10-20 फीसदी की बढ़ोतरी हो चुकी है। कारोबारियों का कहना है कि बढ़ी कीमतों का असर बिक्री पर भी साफ नजर आ रहा है। श्रीदुर्गा गजक भंडार के रमेश त्यागी ने कहा, 'बिक्री पिछले साल की तुलना में अभी 10-15 फीसदी कम है।' उन्होंने कहा कि ग्राहक कीमतें देखकर कम खरीद कर रहा है। जयपुर में गजक, तिलपट्टी, रेवड़ी बनाने वाले श्री श्याम तिलपट्टी उद्योग के मालिक राज कुमार कुमावत ने कहा, 'चीनी, तिल की कीमतें बढ़ने के कारण तिलपट्टी, गजक बनाने की लागत में 10-15 फीसदी की बढ़ोतरी आई है।' उन्होंने बताया कि गजक का आधे किलो का डब्बा, जो पिछले साल 120 रुपए का था, वह इस साल 150 रुपए का है। कुमावत ने कहा, 'पिछले साल रेवड़ी, गजक, तिलपट्टी के दाम क्वालिटी के मुताबिक 65 रुपए से 150 रुपए था, वह इस साल 80 से 180 रुपए तक है।' उनकी फर्म करीब 50 तरीके के गजक और तिलपट्टी बनाती है और वह उत्तर भारत के दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ़, गुजरात जैसे राज्यों में सप्लाई करते हैं। कुमावत ने कहा कि उनका कारोबार साल के सिर्फ चार महीने का है लेकिन इस साल बिक्री पर अधिक कीमतों का असर पड़ रहा है। उन्होंने कहा, 'हमें पिछले साल की तुलना में मिले ऑर्डर पिछले साल की तुलना में 25 फीसदी कम है। महंगाई और अधिक कीमतों का असर बिक्री में नजर आ रहा है।' अलवर के तिलपट्टी, गजक बनाने वाले कोका राम एंड संस के मालिक जितेंद्र कुमार शर्मा ने कहा, 'महंगाई बढ़ने के कारण पिछले साल की तुलना में बिक्री 10 फीसदी कम है। पिछले साल हम रोजाना 100-120 किलो गजक सप्लाई कर रहे थे, लेकिन इस साल यह घटकर 80-100 किलो के बीच रह गई है।' उन्होंने बताया कि चीनी की कीमतें बढ़ने के कारण इनके दाम में भी 15-20 फीसदी की बढ़ोतरी आई है। कंपनियों ने भी गजक, रेवड़ी, गुड़ पतीसे के पैक्ड डब्बों की कीमतों को बढ़ा दिया है। बिकानेरवाला की प्रवक्ता ने कहा, 'कच्चे माल की कीमतें बढ़ने के कारण कीमतें बढ़ाई हैं लेकिन बिक्री कम होने के दबाव के कारण जिस दर से लागत बढ़ी है, उसी दर से कीमतें नहीं बढ़ाई गई हैं।' (ई टी हिन्दी)
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