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16 दिसंबर 2009

सोयामील निर्यात 30 प्रतिशत कम रहने का अनुमान

अमेरिका में सोयाबीन के उत्पादन में बढ़ोतरी और घरेलू बाजार में सोयाबीन के दाम ऊंचे होने के साथ ही डॉलर की कमजोरी से चालू वित्त वर्ष में भारत से सोया खली के निर्यात में तीस फीसदी कमी आने की आशंका है। चालू वित्त वर्ष के अप्रैल से नवंबर तक भारत से सोया खली का निर्यात घटकर 11,47,307 टन का ही हुआ है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 24,20,255 टन का निर्यात हुआ था।सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के प्रवक्ता राजेश अग्रवाल ने बिजनेस भास्कर को बताया कि घरेलू बाजार में सोयाबीन के दाम ऊंचे होने के कारण प्लांटों को पड़ते नहीं लग रहे हैं। वैसे भी अमेरिका में सोयाबीन के उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है जिससे अमेरिका की सोया खली भारत के मुकाबले सस्ती पड़ रही है। रुपये के मुकाबले डॉलर कमजोर होने से भी बेपड़ता हो गया है। इसीलिए पिछले सात महीने में भारत में सोया खली की कीमतों में करीब 12 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। मई महीने में सोया खली के दाम बंदरगाह पहुंच बढ़कर 23,700 रुपये प्रति टन हो गए थे जबकि इस समय भाव घटकर 20,500 से 20,800 रुपये प्रति टन रह गए हैं। दाम घटने के बावजूद भी भारत से नवंबर महीने में सोया खली का निर्यात घटा है। नवंबर महीने में भारत से सोया खली का निर्यात घटकर मात्र 2,97,661 टन का ही हुआ है जबकि पिछले साल नवंबर महीने में 6,63,776 टन का निर्यात हुआ था।उन्होंने बताया कि निर्यातकों की कमजोर मांग को देखते हुए चालू वित्त वर्ष में भारत से सोया खली का निर्यात घटकर 30 लाख टन ही होने की संभावना है। जबकि वित्त वर्ष 2008-09 में 42।45 लाख टन सोया खली का निर्यात हुआ था। सोपा के अनुसार चालू सीजन में भारत में सोयाबीन का उत्पादन 97.24 लाख टन होने की संभावना है। उधर अमेरिकी कृषि विभाग के अनुसार अमेरिका में सोयाबीन का उत्पादन बढ़कर 903 लाख टन होने की उम्मीद है। साई सिमरन फूड लिमिटेड के डायरेक्टर नरेश गोयनका ने बताया कि स्टॉकिस्टों की सक्रियता के कारण घरेलू बाजार में सोयाबीन की कीमतें बढ़ गई थी जबकि रिकार्ड आयात होने के कारण सोया तेल में तो मांग कमजोर बनी ही हुई है। साथ ही सोया खली के निर्यात में भी लगातार कमी आ रही है। सोयाबीन के दाम उत्पादक मंडियों में मई में बढ़कर 2650 रुपये प्रति क्विंटल हो गये थे जबकि इस समय प्लांट डिलीवरी सोयाबीन का भाव 2350 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा है। इन भावों में भी मिलों की मांग कमजोर बनी हुई है जिससे मौजूदा कीमतों में और भी गिरावट की आशंका है। (बीएस हिन्दी)

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