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18 दिसंबर 2009

महंगाई की रफ्तार 20-20 जैसी, सरकार की चाल टेस्ट मैच की तरह

नई दिल्ली : आम जनता और सरकार को ठेंगा दिखाने वाली महंगाई उफान पर है। खाद्य पदार्थों की महंगाई दर पांच दिसंबर को खत्म सप्ताह में चढ़कर 19।95 फीसदी हो गई। यह इसका पिछले एक दशक का उच्चतम स्तर है। महंगाई की इस आग में सब्जियों, दालों, दूध, गेहूं और चावल ने घी डाला। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि महंगाई पर काबू पाने के लिए रिजर्व बैंक जल्दी ही ब्याज दरें बढ़ा सकता है। महंगाई की राजनीतिक मार से परेशान सरकार ने गुरुवार को कहा कि आपूर्ति की स्थिति सुधारने के लिए जरूरी कमोडिटी का आयात किया जाएगा जबकि वित्तीय मामलों पर संसद की स्थाई समिति ने वित्त मंत्रालय की इस बात के लिए खिंचाई की कि वह मुद्रास्फीति पर काबू पाने के लिए समय रहते कदम उठाने में नाकाम रहा है। सालाना आधार पर आलू के दाम में 136 फीसदी की उछाल आ चुकी है। दालें 40 फीसदी से ज्यादा और प्याज 15.4 फीसदी महंगी हो चुकी है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार सब्जियों की कीमत 41.09 फीसदी बढ़ी हैं, जबकि गेंहू 13.9 फीसदी महंगा हो गया है। महंगे होने वाले अन्य खाद्य पदार्थों में गेहूं (14 फीसदी), दूध (13.6 फीसदी), चावल (12.7 फीसदी) और फल (11 फीसदी) शामिल हैं। इससे पहले के सप्ताह में खाद्य पदार्थों से जुड़ी महंगाई दर 19.05 फीसदी थी। खाद्य पदार्थों के साथ ईंधन और कारखानों में बने माल को भी शामिल करने वाली महंगाई की थोक मूल्य आधारित दर नवंबर में 4.78 फीसदी हो चुकी है जो अक्टूबर में 1.34 फीसदी थी। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने कहा, 'खाद्य पदार्थों के दाम बढ़ रहे हैं। यह चिंता का विषय है। हमें उचित कदम उठाने होंगे ताकि आयात के जरिए आपूर्ति बढ़ाकर हालात पर काबू पाया जा सके।' इससे पहले दिन में वित्तीय मामलों पर संसद की स्थाई समिति ने संसद में अपनी रिपोर्ट पेश करते हुए वित्त मंत्रालय की खिंचाई की। समिति ने कहा कि मंत्रालय प्याज जैसी जरूरी खाद्य वस्तुओं के निर्यात पर अस्थाई रोक लगाए और कालाबाजारी पर अंकुश लगाने के लिए आवश्यक वस्तु कानून में बदलाव करे। भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी की अध्यक्षता वाली समिति ने कहा कि सरकार को एक व्यापक खाद्य मूल्य प्रबंध नीति तैयार करनी चाहिए। समिति ने एक अलग खाद्य मूल्य सूचकांक बनाने की भी सिफारिश की। साप्ताहिक आधार पर, उड़द और मसालों के दाम 3 फीसदी चढ़े हैं जबकि दूध दो फीसदी महंगा हुआ है। इसके साथ मक्का, जौ, मसूर और गेहूं भी महंगे हुए। हालांकि पोल्ट्री चिकेन में 10 फीसदी और चाय में दो फीसदी नरमी आई। इसी सप्ताह प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष सी रंगराजन ने कहा था, 'मार्च 2010 के अंत तक महंगाई 7 फीसदी हो सकती है। हो सकता है कि कोई कदम उठाया जाए (आरबीआई द्वारा) जिससे कीमतों पर कुछ असर पड़े।' आरबीआई 29 जनवरी को मौद्रिक नीति की तिमाही समीक्षा करने वाला है। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के प्रिंसिपल इकनॉमिस्ट डी के जोशी ने कहा, 'अगर हम कीमतों के लगातार बढ़ने की स्थिति में दाखिल हो रहे हैं, तो मुद्रास्फीति से जुड़ी आशंकाओं को काबू करने के लिए केंद्रीय बैंक की ओर से मौदिक मोर्चे पर कुछ सख्त उपाय करना जरूरी हो जाएगा।' (ई टी हिन्दी)

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