14 सितंबर 2009
नहीं रहा दुनिया को भुखमरी से बचाने वाला मसीहा
डलास /वाशिंगटन। पहली हरित क्रांति के जनक और मशहूर कृषि वैज्ञानिक नॉर्मन बोरलॉग का शनिवार को टेक्सास में देहांत हो गया। वे 95 वर्ष के थे। टेक्सास ए एंड एम यूनिवर्सिटी की प्रवक्ता कैथलीन फिलिप्स ने बताया कि बोरलॉग की मौत डलास स्थित अपने घर में 11 बजे से कुछ पहले हुई। वे कैंसर से पीड़ित थे। अपनी अभिनव कृषि तकनीक के जरिए लाखों लोगों को भूख और तंगहाली से बचाने में अहम योगदान देने के लिए बोरलॉग को 1970 में नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया था। बोरलॉग के प्रयासों से भारत समेत कई देशों में 1960 से 1990 के दौरान खाद्यान्न उत्पादन बढ़कर दोगुना हो गया था। उन्हें 2006 में भारत के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया था। उसी वर्ष उन्हें अमेरिका के सबसे बड़े नागरिक सम्मान कांग्रेशनल गोल्ड मेडल से भी नवाजा गया था।बोरलॉग द्वारा छेड़ी गई हरित क्रांति की मुहिम से बीसवीं शताब्दी के दौरान करीब एक अरब लोगों को भुखमरी से बचाया जा सका। उनके प्रयासों से ही दुनियाभर का खाद्य उत्पादन दोगुने से अधिक बढ़ा। हरित क्रांति का सबसे ज्यादा फायदा मेक्सिको, भारत और पाकिस्तान को हुआ। बोरलॉग की पहल से अपने देश को फसलों की कई नई किस्में और अधिक उत्पादन का वरदान मिला। उनके प्रयासों से ही मेक्सिको 1963 में गेहूं का निर्यातक बना। भारत और पाकिस्तान में 1965 से 1970 के बीच गेहूं का उत्पादन दोगुना हो गया और भारत को खाद्य सुरक्षा मजबूत करने में मदद मिली।नॉर्मन अर्नेस्ट बोरलॉग 25 मार्च 1914 को आयोवा के क्रेस्को में जन्मे। क्रेस्को में ही अपनी शुरुआती शिक्षा खत्म करने के बाद उन्होंने फॉरेस्ट्री पढ़ने के लिए यूनिवर्सिटी ऑफ मिनेसोटा में दाखिला लिया। 1937 में विज्ञान से स्नातक करने के बाद उन्होंने यू.एस. फॉरेस्ट्री सर्विस में काम शुरू किया। इस दौरान उन्होंने 1939 में प्लांट पैथोलॉजी से परास्नातक और 1942 में डॉक्टर की उपाधि हासिल की। 1942 से 1944 के बीच उन्होंने डू पॉट डि नेमोर्स फाउंडेशन में माइक्रोबायोलॉजिस्ट के रूप में काम किया। जहां उन्होंने बैक्टीरिया और फंगस नाशकों के साथ-साथ प्रिजर्वेटिव पर रिसर्च किया। 1944 में बोरलॉग को मैक्सिको में कोऑपरेटिव व्हीट रिसर्च एंड प्रोडक्शन प्रोग्राम में जेनेटिक्स और प्लांट पेथोलॉजिस्ट के लिए नियुक्त किया गया। यह प्रोग्राम मैक्सिको की सरकार और रॉकफेलर फाउडेशन के संयुक्त प्रयास से चलाया जा रहा था। इस प्रोग्राम के तहत उन्होंने नई किस्मों, प्लांट ब्रीडिंग, प्लांट पैथोलॉजी, एंटोमोलॉजी, एग्रोमोनी और सॉयल साइंस पर रिसर्च किया। इसी प्रोग्राम के दौरान उन्होंने अपना लक्ष्य साफ कर दिया कि वे दुनियाभर के भूखे लोगों के लिए अनाज की ऐसी नई किस्मों की खोज करेंगे, जिनसे खाद्य उत्पादन काफी बढ़ाया जा सके। नोबल के अलावा बोरलॉग को 6 देशों की यूनिवर्सिटी और संस्थाओं से विशेष उपाधि भी मिली हुई थी। (एपी/प्रेट्र)
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