(नदिया) September 11, 2009
बाजार में दाल की कीमतें बढ़ चुकी हैं। हालांकि कोलकाता से 130 किलोमीटर दूर नदिया जिले के बेलपुकुर गांव के किसान दाल की खेती छोड़ रहे हैं।
65 साल के कनाई घोष कहते हैं कि इस साल हो सकता है कि मैं दाल की खेती न करूं। इसकी बुआई में कोई मुनाफा नहीं है, क्योंकि खराब मौसम और मिट्टी के चलते अक्सर फसल बर्बाद हो जाती है। हमारे लिए धान और जूट की खेती करना बेहतर है, क्योंकि इसकी पैदावार अच्छी है। इससे अच्छा मुनाफा होता है।
बंगाल के नदिया जिले को सरकार ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत दाल उत्पादन करने वाले जिले के रूप में चिह्नित किया है। घोष पिछले 50 साल से खेती कर रहे हैं और उनकी आमदनी का जरिया खेती ही है। वह बेलपुकुर के उन किसानों में से एक हैं, जिन्होंने दाल की खेती छोड़ने का फैसला किया है।
घोष के पास करीब 8 बीघा खेत है। 6 में से 5 बीघे खेत में वह धान की विभिन्न किस्में उगाते हैं और दो बीघे जमीन में वह जूट की खेती करते हैं और मौसमी सब्जियां उगाते हैं। गांव के ज्यादातर खेतों में चावल और जूट की खेती होती है। गांव के एक किसान ने कहा, 'दाल की खेती में गिरावट आ रही है, क्योंकि इसकी पैदावार बहुत कम है। दाल की खेती के लिए मौसम और मिट्टी साथ नहीं दे रही है, जिससे हम लोग दाल उगा सकें। उड़द, मसूर, मूंग की फसल तैयार होने में कम समय लगता है। इस दलहन को उगाने में 3-4 महीने का वक्त लगता है। हम इसकी बुआई अक्टूबर-नवंबर में करते हैं और इसकी कटाई जनवरी में होती है।'
घोष ने पिछले साल 2 बीघे जमीन में मूंग दाल की बुआई की थी। उन्होंने 100 किलो दाल उगाई, जिससे उन्हें 5000 रुपये की कमाई हुई। उन्होंने कहा कि 'इस साल मैं दाल की खेती न करने के बारे में सोच रहा हूं। अगर इतने ही खेत में धान की खेती की जाती है तो कम से कम 960 किलो धान पैदा होता और इससे कम से कम 10,560 रुपये मिलता। धान की तुलना में दाल की खेती में लागत ज्यादा लगती है और मुनाफा कम होता है।'
घोष का कहना है कि जितनी जमीन में 60-80 किलो दाल की पैदावार होती है, उतनी ही जमीन में 400 किलो धान की पैदावार होती है। गांव के ही एक किसान निवास घोष ने कहा, 'अगर हम मजदूरी, जल पंप, खाद, बीज की लागत जोड़ दें तो हमें खेती ही छोड़ देनी पड़ेगी।
किसान उन्हीं फसलों को उगाना पसंद करते हैं, जिससे उनको मुनाफा हो। लागत कम लगे, उपज बेहतर हो और फसल कम समय में तैयार हो, ऐसी फसलों में मुनाफा होता है।' धान की खेती में एक बीघे में 2000 रुपये तक का मुनाफा हो जाता है, वहीं दालों की फसल जब बहुत बढ़िया भी होती है तो एक बीघे में 500 रुपये का मुनाफा होता है।
गांव के ही एक किसान हसन अली मोन्डो ने भी दाल की खेती करनी बंद कर दी है। उनका कहना है कि दाल की खेती में कोई मुनाफा नहीं है। हसन ने आखिरी बार 2007 में दाल की खेती की थी। अब वह वे 10 कट्ठा जमीन में मूंग दाल की खेती करके 300 किलो दाल उगाते हैं। उनका कहना है कि अगर इतनी ही जमीन में धान की खेती की जाए तो 30 क्विंटल धान की पैदावार होगी। (बीएस हिन्दी)
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