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10 सितंबर 2009

भारत की खरीदारी से बढ़ी वैश्विक चीनी बाजार में हलचल

एजेंसियां / मुंबई/सिंगापुर/बैंकाक 09 09, 2009
भारत में चीनी के आयात का असर वैश्विक बाजारों पर पड़ रहा है। उधर घरेलू मांग पिछले साल जितना ही बरकरार रहने से उम्मीद की जा रही है कि भारत में 2009-10 में चीनी की खपत 235 लाख टन होगी।
इसे देखते हुए भारत में 75 लाख टन चीनी के आयात की जरूरत पड़ सकती है। वहीं भारत की चीनी मिलों और सरकार ने जिंस खरीद एजेंसियों को 40 लाख टन चीनी (कच्ची और सफेद) के आयात के लिए नामित किया है, जिसे सुरक्षित कोटे में रखा जाएगा।
अगर कीमतों में बढ़ोतरी होती है तो सरकार अपने सुरक्षित भंडार से कम से कम 40 लाख टन चीनी कभी भी जारी कर सकेगी। दुनिया के सबसे बड़े चीनी उपभोक्ता देश, भारत ने हाल में 2,50,000 टन कच्ची चीनी की खरीद की है, हालांकि इसकी विस्तृत जानकारी उपलब्ध नहीं है।
वहीं कारोबारियों का कहना है कि थाईलैंड में चीनी वायदा में कमी की वजह से सौदे हो रहे हैं। भारत से सफेद थाई चीनी की खरीद के लिए जानकारी भी मांगी जा रही है। उम्मीद की जा रही है कि सितंबर और अक्टूबर महीने में कुछ सौदे होंगे। लंदन वायदा बाजार में थाई रिफाइंड चीनी की कीमतें 5 से 7 डॉलर पर स्थिर हैं।
सिंगापुर के एक कारोबारी ने कहा, 'निश्चित रूप से थाईलैंड से भारत को भेजी जाने वाली चीनी की मात्रा में बढ़ोतरी हुई है। थाईलैंड की चीनी की वायदा बाजार में कीमतें कम हैं, जिसकी वजह से कारोबारी खरीदारी में दिलचस्पी ले रहे हैं।' उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि मिलों ने चीनी की बिक्री कर दी है, जिससे लगता है कि अब चीनी कारोबारियों के हाथ में है।
कच्ची चीनी के अक्टूबर सौदे में 3.3 प्रतिशत से ज्यादा की कमी आई है और बुधवार को कीमतें 20.87 सेंट प्रति एलबी रहीं, जो 28.5 सेंट के इस साल के उच्चतम स्तर से 16 प्रतिशत कम है। लंदन में अक्टूबर सौदे में 60 सेंट की गिरावट आई है और कीमतें 520 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गई हैं।
पिछले सप्ताह कीमतें 603.6 डॉलर प्रति टन के स्तर पर पहुंच गई थीं। चीनी की कीमतों में गिरावट की प्रमुख वजह मुनाफावसूली है और भारत में गन्ने की फसल में सुधार की खबरों का असर भी वायदा भाव पर पड़ा है। कारोबारियों ने कहा कि कुछ खरीदारों की खरीद के चलते गिरावट पर कुछ लगाम लगी है।
भारत के मौसम विभाग के एक उच्च अधिकारी का कहना है कि इस साल मॉनसून की वापसी 10 दिन की देरी से होगी। इसकी वजह से जाड़े की फसलों को मदद मिलेगी। कॉमनवेल्थ बैंक आफ इंडिया की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 'एक सकारात्मक खबर (पुष्ट नहीं) यह है कि भारत ने 250 केटी कच्ची चीनी की खरीद इस सप्ताह के अंत तक करेगा। इसके साथ मैक्सिको ने घोषणा की है कि वह 207 केटी के लिए आयात लाइसेंस जारी करेगा।'
कुछ अन्य कारोबारियों ने भी कहा कि तमाम खरीद केंद्रों ने यह संदेह जाहिर किया है कि भारत ने चीनी की खरीद की है। सिंगापुर के एक कारोबारी ने कहा, 'हमारा मानना है कि भारतीय खरीदार कुछ चीनी बेच देंगे, जिसकी वजह से वायदा कारोबार में गिरावट आएगी। यह भी उम्मीद है कि भविष्य में कुछ खरीदारी और होगी, जब बाजार में गिरावट आएगी।'
भारत मुख्य रूप से ब्राजील से चीनी का आयात करता है, जहां से चीनी की लदान पर न्यूयॉर्क वायदा पर 60-70 अंकों की छूट मिल रही है, इसके चलते थाई प्रीमियम को 50 अंकों से शून्य करने पर मजबूर होना पड़ा है। कारोबारियों का कहना है कि पाकिस्तान ने भी बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में चीनी का पर्याप्त स्टॉक सुनिश्चित करने का फैसला किया है, जिससे सितंबर में ईद के त्योहार में किसी तरह की दिक्कत न हो।
वहीं इंडोनेशिया द्वारा कच्ची चीनी की खरीद से बाजार धारणा मजबूत हुई है। पाकिस्तान इस साल की शुरुआत से ही चीनी का आयात कर रहा है, जिससे गन्ने के उत्पादन में आई कमी के चलते चीनी के संकट का सामना न करना पड़े। उसने एक साल पहले 32 लाख टन की तुलना में इस साल 47 लाख टन चीनी का आयात किया है।
बैंकाक स्थित एक कारोबारी ने कहा कि भारत के खरीदार, खासकर खाद्य और प्रसंस्करण उद्योग के, चीनी की खरीद के सौदे सितंबर और अक्टूबर के दौरान करेंगे। उन्होंने कहा कि सफेद चीनी का सौदा करीब 1000 टन का सौदा हो सकता है।
कारोबारी का कहना है कि बहुत ज्यादा पूछताछ हो रही है और मेरा मानना है कि कीमतों में करेक्शन के बाद एक बार फिर दाम बढ़ेंगे। थाई सफेद चीनी के लिए बोली 1 डॉलर के प्रीमियम पर लगाई जा रही है। (बीएस हिन्दी)

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