भुवनेश्वर September 02, 2009
जूट उद्योग ने केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय से और अधिक अधिरिक्त लाभ दिए जाने की मांग की है।
उद्योग ने सभी प्रकार के जूट से बनी सभी वस्तुओं पर डीईपीबी (डयूटी एंटाइलमेंट पासबुक स्कीम) दर में 3 फीसदी बढ़ोतरी करने के साथ ही फोकस मार्केट स्कीम में अफ्रीका महाद्वीप के देशों को भी शामिल करने की मांग की है।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2009-14 के लिए घोषित आयात-निर्यात नीति में केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय ने फोकस मार्केट के तहत 26 देशों की सूची तैयार की है, जिसमें लैटिन अमेरिका के 10 और एशिया-आसियाना क्षेत्र के 10 देशों को शामिल किया गया है। जूट उद्योग ने जूट से तैयार वस्तुओं को विशेष कृषि विकास योजना के तहत लाए जाने की वकालत की है।
इसके अलावा उद्योग ने सरकार से टारगेट प्लस स्कीम के तहत जूट निर्यातकों के पास पड़े अब तक इस्तेमाल में नहीं आए लाइसेंस खरीदने का भी आग्रह किया है। 2009-14 के लिए घोषित आयात-निर्यात नीति में केंद्र ने डीईपीबी योजना को 31 दिसंबर 2010 तक के लिए बढ़ा दिया है।
फोकस मार्केट स्कीम के लिए डीईपीबी दर को 2.5 फीसदी से बढ़ाकर 3 फीसदी कर दिया था, फोकस प्रोडक्ट स्कीम के तहत डीईपीबी को 1.25 फीसदी से बढ़ाकर 2 फीसदी कर दिया है। फोकस प्रोडक्ट स्कीम के तहत जूट से बनी वस्तुओं में शॉपिग बैग, जूट के रेशों से बने सजावट के समान, रोप टि्वन, सीसल यार्न, मनिला रोप यार्न औ कॉर्डेज आते हैं।
नई नीति में एक्सपोर्ट प्रमोशन गारंटी स्कीम के तहत तकनीक में सुधार केलिए पूंजीगत वस्तुओं के आयात पर आयात शुल्क को 3 फीसदी से घटाकर शून्य कर दिया गया है। (बीएस हिन्दी)
03 सितंबर 2009
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