मुंबई: विदेशी और घरेलू बाजारों में अच्छी मांग होने के कारण बीते सप्ताह इलायची की कीमतों में 10 फीसदी की तेजी देखने को मिली। एमसीएक्स पर सितंबर डिलवरी के कॉन्ट्रैक्ट में 9।4 फीसदी की तेजी आई और वह 899 रुपए प्रति किलो पर बंद हुआ। हाजिर बाजार में भी कीमतें 700 रुपए प्रति किलो से ऊपर चल रही हैं। हाल ही में वांदनमेट्टू (केरल) में नीलामी में ऑफर की गई औसत कीमतें 735 रुपए प्रति किलो पर रहीं जबकि इससे पहले के सप्ताह की नीलामी में औसत कीमतें 708 रुपए प्रति किलो पर थीं। त्योहारी और शादी के सीजन से पहले स्टॉकिस्टों ने अच्छी खरीदारी की है। इसके अलावा देश में भी, खासतौर पर उत्तरी राज्यों की तरफ से अच्छी मांग है।
रमजान के कारण सऊदी अरब से भी मांग में तेजी रही। इस कारण निर्यात भी अच्छा रहा। स्पाइस बोर्ड के मुताबिक अप्रैल-जुलाई 2009 के बीच भारत ने 660 रुपए प्रति किलो के हिसाब से 250 टन इलायची का निर्यात किया और इसका कुल मूल्य 1,650 लाख रुपए रहा। एक साल पहले की इसी अवधि में भारत ने 622।4 रुपए प्रति किलो के हिसाब से 160 टन इलायची का निर्यात किया था और उसका कुल मूल्य 995.84 लाख रुपए रहा था। पिछले साल के मुकाबले इस साल हाजिर बाजार में कीमतें 100-120 रुपए प्रति किलो ऊपर चल रही हैं। एक साल पहले कीमतें 595 रुपए प्रति किलो पर थीं, लेकिन इस बार ये 720 रुपए प्रति किलो पर चल रही हैं। प्रीमियम गुणवत्ता वाली एजीईबी की कीमतें इस बार 810-820 रुपए प्रति किलो पर चल रही हैं जबकि पिछले साल कीमतें 700-720 रुपए प्रति किलो पर थीं। फूल लगने के दौरान (फ्लावरिंग सीजन) रात और दिन के तापमान के बीच अंतर बढ़ने, रुक-रुककर होने वाली बारिश के अभाव और सूखे मौसम के कारण इलायची की फसल पर बुरा असर पड़ा। हालांकि केरल के इडुक्की और वायानाड जिलों में कटाई में तेजी आ रही है। ये दोनों जिले मिलकर इलायची के 75 फीसदी भाग का उत्पादन करते हैं। पिछले 10 दिनों में हुई भारी बरसात के कारण परागण (पॉलिनेशन) पर काफी बुरा असर पड़ा है। इसके अलावा भारी बरसात के कारण आवक भी कम रही है। एसएमसी ग्लोबल सिक्योरिटीज के रिसर्च एनालिस्ट अजीत कुमार का कहना है, 'अगर अगले 7-10 दिनों तक भी बरसात जारी रहती है तो इससे परागण पर काफी असर पड़ सकता है और कीमतों में भी बढ़ोतरी हो सकती है।' मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार इडुकी आर वायानाड जिले में 9 सितंबर को समाप्त सप्ताह में सामान्य से अधिक बरसात हुई है। पहले कम बरसात और बाद में भारी बरसात के कारण उत्पादन में 30-35 फीसदी का असर पड़ सकता है। इस बार उत्पादन 10,000-11,000 टन रहने का अनुमान है। (इत हिन्दी)
14 सितंबर 2009
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