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04 सितंबर 2009

खराब मानसून से कमोडिटी एक्सचेंजों पर टर्नओवर दोगुना

अहमदाबाद : खराब मानसून के कारण दालों समेत तमाम कमोडिटी की कीमतों में तो तेजी देखने को मिली ही है, एग्रीकल्चर कमोडिटी वायदा ट्रेडिंग में प्रमुख हिस्सेदारी रखने वाले ऑनलाइन कमोडिटी एक्सचेंजों में भी तेज बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। एग्रीकल्चर कमोडिटी की वायदा ट्रेडिंग में काम करने वाले नेशनल कमोडिटीज एंड डेरिवेटिव एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) का टर्नओवर कुछ महीनों में करीब दोगुना हो गया है। जनवरी में एक्सचेंज का टर्नओवर 46,795 करोड़ रुपए था और जुलाई में यह बढ़कर 73,082 करोड़ रुपए हो गया। अगस्त में देखें तो अभी तक 27,000 करोड़ का टर्नओवर हो चुका है।
एक्सचेंज पर जिन कमोडिटी में सबसे ज्यादा ट्रेडिंग हो रही है, उनमें ग्वारसीड, ग्वारगम, चना, सोयाबीन ऑयल और हल्दी का नाम शामिल है। अकेले सोमवार को ही एक्सचेंज पर टर्नओवर 5,395 करोड़ रुपए रहा और इसमें ग्वारसीड ने 1,500 करोड़ रुपए का योगदान दिया। खराब मानसून ने खरीफ फसलों में ट्रेडरों की रुचि को बढ़ा दिया है। इसी के साथ एनसीडीईएक्स पर टर्नओवर में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। राजस्थान गम प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ भेरु जैन का कहना है, 'सट्टेबाज सक्रिय हो गए हैं, परिणामस्वरूप मानसून के असफल होने के बाद कीमतों में तेज बढ़ोतरी देखने को मिल रही है।' कमजोर मानसून के कारण न सिर्फ खरीफ फसलों की कीमत बढ़ रही है, बल्कि रबी फसलों की भी कीमतों में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। बाजार में उतार-चढ़ाव भी काफी बढ़ गया है। जैन का कहना है, 'ग्वार जैसी कमोडिटी में प्रति क्विंटल 125-150 रुपए का उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। इससे इस बात का संकेत मिलता है कि बड़े पैमाने पर बाजार में सट्टेबाज सक्रिय हैं।' उनका मानना है कि उतार-चढ़ाव से निर्यात भी निर्धारित होगा। भारत ग्वारगम का सबसे बड़ा निर्यातक देश है। यह सालाना 1,000-1,200 करोड़ रुपए का निर्यात करता है। (इत हिन्दी)

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