नई दिल्ली : भारतीय कॉफी के मंहगा होने के कारण इस साल जनवरी से अगस्त के आठ महीनों के दौरान इसका निर्यात 19 फीसदी घटकर 1.33 लाख टन रहा। वैश्विक आथिर्क संकट के कारण विदेश में मांग कम रही और इसका असर भी निर्यात पर दिखा। कॉफी बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार पिछले वर्ष इसी अवधि में विदेशी बाजारों में 1।64 लाख टन कॉफी का निर्यात किया गया था। वियतनाम और इंडोनेशिया के बाद भारत एशिया में कॉफी का सबसे बड़ा निर्यातक है। ऑल इंडिया कॉफी एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट रमेश राजाह ने बताया, 'पिछले सत्र में कम उत्पादन से भारतीय कॉफी की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है।
वैश्विक दरें बढ़ने के बाद भी निर्यात में मुनाफा कम हो गया है।' पिछले वर्ष भारत में कॉफी उत्पादन 2।62 लाख टन रहा जो कॉफी बोर्ड के अनुमान से पांच फीसदी कम है। आयातक देश अब भी वित्तीय संकट से उबरने की कोशिश कर रहे हैं और वे वियतनाम और इंडोनेशिया में सस्ते विकल्पों की तलाश कर रहे हैं। राजाह के अनुसार भारतीय कॉफी की विभिन्न किस्मों के मूल्य 10 से 30 फीसदी अधिक हैं। भारत अपने कुल कॉफी उत्पादन के 80 फीसदी भाग का निर्यात करता है। बोर्ड ने कहा कि इस वर्ष अभी तक अरेबिका के निर्यात में करीब 40 फीसदी की गिरावट आई है और यह 23,495 टन रह गया है। एक साल पहले इसी अवधि में यह 38,542 टन था। बोर्ड ने कहा है कि रोबस्टा काफी की खेप, जिसमें अरेबिका की तुलना में कैफीन की दोगुनी मात्रा है, भी घटकर 73,367 टन रह गई जो पहले 83,027 टन थी। इसी प्रकार इंस्टेन्ट कॉफी का निर्यात 42,985 टन से घटकर 35,878 टन रह गया। हालांकि मूल्यवर्धित उत्पादों की विदेशी शिपमेंट मामूली बढ़त के साथ 16,114 टन हो गई। भारत से इटली, रूस, जर्मनी, बेल्जियम और अरब देशों को कॉफी का निर्यात होता है। (इत हिन्दी)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें