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08 सितंबर 2009

गुड़ भी चला चीनी की राह, कीमतें छू रही हैं आसमान

नई दिल्ली : यदि आप सोच रहे हैं कि कीमतों के तेज पहिए पर केवल चीनी ही सवार है तो आपको एकबार गुड़ पर भी नजर दौड़ानी चाहिए। इन दिनों देशभर में गुड़ 30 रुपए प्रति किलो बिक रहा है। इस तरह यह रिफाइंड चीनी की तरह ही महंगा हो गया है। लेकिन इस पर किसी का ध्यान नहीं है? ईटी इस मसले की तह तक जाने में आपकी मदद करेगा। गन्ने के रस को उबालने और छानने के बाद जब ठंडा किया जाता है तो गुड़ बनता है। इसमें शीरे का अंश होता है जिसकी वजह से इसका रंग सुनहला भूरा होता है। महाराष्ट्र देश का सबसे बड़ा गुड़ उत्पादक और उपभोक्ता राज्य है। इसके लिए वहां एक विशेष निर्यात क्षेत्र भी है। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पंजाब, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के हजारों गांवों में कोल्हू के सहारे गुड़ उत्पादन होता है।
यह हमेशा से ही ग्रामीण भारत की पसंदीदा मिठाई रहा है। रसोई से लेकर औद्योगिक इकाइयों तक में, इसका इस्तेमाल कच्चे माल के रूप में होता है। शराब बनाने में भी गुड़ का भरपूर इस्तेमाल होता है। पश्चिम उत्तर प्रदेश के गुड़ निर्माताओं का कहना है कि शराब बनाने में 92 फीसदी गुड़ का इस्तेमाल होने लगा है। गन्ने और शीरे की कमी से शराब बनाने के तरीके में बदलाव आया है। शीरे का किण्वन (फमेर्न्टेशन) कर एल्कोहल बनाया जाता है। चीनी मिलें चीनी बनाने के दौरान गन्ने के रस से शीरा अलग कर लेती हैं, जिससे छोटी-बड़ी एल्कोहल इकाइयों को इसकी सप्लाई सुनिश्चित हो जाती है। जब शीरे की सप्लाई घटती है, जैसा कि मौजूदा सत्र में हुआ है, तो बड़ी एल्कोहल कंपनियां इसका आयात करती हैं। लेकिन देसी शराब बनाने वाले गुड़ के किण्वन से काम चलाने लगते हैं। उसी तरह जैसे रूसी लोग आलू के किण्वन से वोदका बनाते हैं। जब से इन औद्योगिक इकाइयों के लिए गुड़ की खरीद होने लगी है, इसकी कीमतों में तेजी आने लगी। शराब बनाने में गुड़ की मांग बढ़ने से महाराष्ट्र और तमिलनाडु के गुड़ उत्पादक पहले की तुलना में 200 फीसदी से ज्यादा कीकीमत पाने लगे। गुड़ निर्माताओं को 400 रुपए प्रति क्विंटल तक दाम मिलने लगे। गुड़ बनाने वाली मुजफ्फरनगर की रामा मस्टर्ड एंड फूड प्रॉडक्ट के एमडी अनुराग गोयल ने कहा कि गुड़ की कीमतों में ऐसी तेजी इससे पहले नहीं देखी गई थी। उन्होंने कहा, 'पिछले साल की तुलना में इस बार गन्ने की पैदावार में कमी से एक अक्टूबर को शुरू होने वाले नए फसल सीजन में गुड़ के दाम और बढ़ सकते हैं।' अब गुड़ निर्माताओं को एल्कोहल का चस्का लग गया है। नए फसल सीजन में गुड़ बनाने वाले कोल्हू भी एक क्विंटल गन्ने के लिए 180 से 190 रुपए देने को तैयार हैं, जबकि चीनी मिलों को यह दाम नागवार गुजरेगा। आम तौर पर कोल्हू में काम शुरू होने के कुछ सप्ताह बाद चीनी मिलें अपना काम शुरू करती हैं। कोल्हू के बराबर कीमत देने पर ही उन्हें गन्ना मिल पाएगा। तमिलनाडु की एक चीनी मिल के एमडी ने बताया, 'नए सीजन में हम गन्ना किसानों को 200 रुपए प्रति क्विंटल का दाम ऑफर कर रहे हैं, लेकिन वे इस पर भी तैयार नहीं है।' चीनी उद्योग को अप्रत्यक्ष तौर पर गन्ने की खरीद के लिए शराब निर्माताओं से प्रतियोगिता करनी पड़ रही है। (इत हिन्दी)

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