कोलकाता September 08, 2009
लगातार दो महीने कीमतों में कमी करने के बाद इस्पात बनाने वाली कंपनियों ने पलटी मार दी है। इन कंपनियों ने पाइप जैसे लंबे उत्पादों के दाम 1,000 से 1,500 रुपये प्रति टन तक बढ़ा दिए हैं। इस्पात की चादर जैसे चपटे उत्पाद पहले ही महंगे हो चुके हैं।
सरकारी इस्पात कंपनी राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (आरआईएनएल) ने भी अपने उत्पादों की कीमतों में 1,000 से 1,500 रुपये प्रति टन की बढ़ोतरी की है। सरकारी क्षेत्र की देश की सबसे बड़ी इस्पात कंपनी सेल ने भी अपने उत्पादों की कीमतों में प्रति टन 1,000 रुपये का इजाफा किया है।
आरआईएनएल के निदेशक (व्यावसायिक) सी जी पाटिल कहते हैं कि अगस्त में मंडी में औसत कीमत घटकर 22,500 रुपये प्रति टन तक पहुंच गई थी जो अब 25,000 रुपये प्रति टन तक पहुंच गई है। आरआईएनएल को उम्मीद है कि अगले कुछ महीनों तक कीमतों में स्थिरता का रुख बना रहेगा।
द्वितीयक उत्पादक एसपीएस स्टील के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक विपिन बोहरा कहते हैं कि यह अच्छे वक्त की शुरुआत है। वह कहते हैं, 'बुनियादी ढांचे से जुड़ी परियोजनाओं में तेजी आने के साथ ही स्टील की मांग में बढ़ोतरी हो गई है।' एसपीएस पूर्वी क्षेत्र में रिटेल स्तर पर दूसरी सबसे बड़ी कंपनी है।
वोहरा कहते हैं कि फिलहाल टीमएटी बार का अधिकतम खुदरा मूल्य 33,600 रुपये प्रति टन हो गया है। अगस्त में पाइप की कीमत में 500 से 2,000 रुपये प्रति टन तक की कमी आई थी। पाटिल का कहना है कि जुलाई में भी कीमतों में कमी का ही रुख रहा था। हालांकि अब ऐसा लगता है कि बुरा वक्त बीत चुका है।
पिछले दो महीनों के दौरान चपटे उत्पादों की कीमतें तो ऊपर जा रही थीं वहीं लंबे उत्पाद सस्ते हो रहे थे। इसकी वजह मॉनसून और मांग की कमी रही। वैश्विक स्तर पर चपटे और लंबे दोनों तरह के इस्पात उत्पादों की कीमतों में तेजी का दौर चल रहा है।
बढ़ गई कीमत
इस्पात कंपनियों ने 1,000 रुपये प्रति टन तक बढ़ाए दाम चपटे और लंबे उत्पादों के दाम में हुआ इजाफा बुनियादी ढांचे से जुड़ी परियोजनाओं में तेजी से बढ़ी मांग दुनिया भर में ऊंची हैं इस्पात की कीमतें (बीएस हिन्दी)
08 सितंबर 2009
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