कुल पेज दृश्य

08 सितंबर 2009

सीसे की कीमतें 16 माह के उच्च स्तर पर

मुंबई September 07, 2009
आपूर्ति संबंधी चिंताओं के बीच लंदन मेटल एक्सचेंज (एलएमई) में कारोबार के दौरान सीसे की कीमतें पिछले 16 महीने के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गई है।
चीन में निम्न स्तर के स्मेल्टरों की वजह से हजारों बच्चों के प्रभावित होने की वजह से इन स्मेल्टरों को बंद किए जाने के प्रस्ताव के बाद भविष्य में आपूर्ति संबंधी चिंता उत्पन्न हो गई है, जिस वजह से कीमतों में इतनी अधिक तेजी आई है।
सीसे के कुल वैविश्क उत्पादन में चीन की हिस्सेदारी एक तिहाई होती है। विश्लेषकों का मानना है कि कनाडा सहित विश्व में सीसे का उत्पादन करने वाले अन्य प्रमुख देशों में भी स्मेल्टरों के एक महीने के सालना रख-रखाव की अवधि नजदीक आती जा रही है, लेकिन कीमतें अगर निचले स्तरों पर बनी रहीं तो इसे आगे बढ़ाया जा सकता है।
इससे पहले के तीन महीने में डिलिवरी वाले सीसे के सौदे में प्रति टन 9 डॉलर की गिरावट आई थी और शुक्रवार को 2,387 डॉलर के स्तर को छूने के बाद गिरकर 2,295 डॉलर प्रति टन के स्तर पर आ गया था। पिछले एक सप्ताह के दौरान सीसे की कीमत में 12 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
बैटरियों में प्रयुक्त होने वाली इस धातु की कीमतों में इससे पहले 4.7 फीसदी का उछाल आया था जो 8 मई 2008 के इंट्राडे के बाद सबसे अधिक है। पर्यावरण संबंधी चिंताओं को देखते हुए नियोजित स्तर पर सरकार द्वारा उठाए गए कदम की प्रारंभिक खबरों के बाद स्मेल्टरों द्वारा उत्पादन रोक देने के बाद गुरुवार को इसकी कीमतों में 8.8 फीसदी की तेजी दर्ज की गई।
अगले साल चीन में लेड-एसिड बैटरी के उत्पादन में 45 फीसदी की तेजी आने की संभावना व्यक्त की जा रही है जिसकी वजह से यहां पर परिवहन और निर्माण कार्यों में वैेकल्पिक ऊर्जा के स्रोतों पर जोर दिया जा रहा है जिसके लिए अत्यधिक क्षमता वाले बैटरी की जरूरत होती है।
एलएमई पंजीकृत वेयरहाउस के भंडार में इस साल जून के बाद से 36 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है जो दिसंबर 2003 के बाद से सबसे अधिक है। आनंद राठी में प्रमुख धातुओं की जानकारी रखने वाले नवनीत दामाणी का कहते हैं 'एलएमई में कारोबार की मात्रा में कमी आई है और इस लिहाज से कीमतों में कमी आ सकती है।'
अंतरराष्ट्रीय सीसा और जस्ता अध्ययन समूह (आईएजेडएसजी) के अनुमान के अनुसार इस साल की पहली छमाही के दौरान सीसे का उत्पादन 42.41 लाख टन दर्ज किया गया था जबकि इसकी कुल खपत 42.04 लाख टन है।
बार्कलेज कमोडिटी के अनुसार पिछले एक साल से अब तक कमोडिटी की कीमतों में आई तेजी की वजह डॉलर में आई कमजोरी को माना जा रहा है। इसके पीछे तर्क यह दिया जा रहा है कि कमोडिटी और डॉलर की मजबूती के बीच सीधा और उलट गणितीय संबंध है। (बीएस हिन्दी)

कोई टिप्पणी नहीं: