08 सितंबर 2009
घरेलू सप्लाई बढ़ाने को चावल आयात को कर मुक्त बनाएगी सरकार
नई दिल्ली : देश के करीब आधे हिस्से के सूखे की चपेट में आने के बाद खाद्यान्न की सप्लाई के मोर्चे पर सरकारी सतर्कता बढ़ती दिख रही है। बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार ने चावल पर आयात शुल्क खत्म करने का मन बना लिया है ताकि घरेलू बाजार में इसकी सप्लाई बढ़ाई जा सके। मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने बताया कि खाद्य मामलों पर वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी की अध्यक्षता वाली मंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति की पिछले महीने हुई बैठक में तय किया गया कि चावल पर आयात शुल्क को सितंबर 2010 तक के लिए बिल्कुल खत्म कर दिया जाए। फिलहाल चावल आयात पर 70 फीसदी शुल्क लगता है। इससे पहले भी सरकार ने महंगाई पर काबू पाने की कोशिशों के तहत 20 मार्च 2008 से 31 मार्च 2009 तक के लिए चावल पर सीमा शुल्क खत्म किया था। बहरहाल इस साल एक अप्रैल को सीमा शुल्क को फिर बहाल कर दिया गया। सूत्रों ने बताया कि मंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति ने गैर-बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध जारी रखने पर भी सहमति जताई। यह प्रतिबंध पिछले साल अप्रैल में लगाया गया था। इस प्रतिबंध से पहले थाईलैंड और वियतनाम के साथ भारत गैर-बासमती चावल के प्रमुख निर्यातक देशों में शामिल था। बहरहाल इस समय भारत सिर्फ बासमती चावल का ही निर्यात कर रहा है। खरीफ की प्रमुख फसल धान पर खराब मानसून की मार पड़ने के बाद सरकार ने हालिया कदम उठाया है। बारिश की पतली हालत के कारण धान के बुआई रकबे में करीब 64 लाख हेक्टेयर की कमी आई है। इससे आशंका पैदा हो गई है कि चावल का उत्पादन सरकार के अनुमान से कहीं कम रह सकता है। खाद्य एवं कृषि मंत्री शरद पवार ने पिछले महीने कहा था कि सूखे की स्थिति के कारण चावल उत्पादन में एक करोड़ टन तक की कमी आ सकती है। खरीफ वर्ष 2008 में भारत ने 8।46 करोड़ टन चावल उत्पादन किया था। इस बीच देश के सबसे बड़े चावल उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में 2009-10 के खरीफ सीजन में उत्पादन 30-34 फीसदी घटकर 85-90 लाख टन रह जाने की आशंका जताई जा रही है क्योंकि सूखे के चलते बुआई रकबा काफी घट गया है। प्रदेश के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'हमें इस सीजन में चावल उत्पादन 85-90 लाख टन रहने की उम्मीद है।' उन्होंने कहा कि पिछले साल प्रदेश में करीब 130 लाख टन चावल उत्पादन हुआ था। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, धान की रोपाई महज 40.05 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि जून से शुरू हुए इस खरीफ सीजन के लिए 59.70 लाख हेक्टेयर का लक्ष्य तय किया गया था। पिछले साल 66.62 लाख हेक्टेयर में धान की रोपाई हुई थी। अधिकारी ने कहा, 'प्रति हेक्टेयर उपज में भी गिरावट आने की आशंका है।' (इत हिन्दी)
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