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03 अगस्त 2009

नई फसल आने तक मूंगफली में मजबूती की संभावना

खरीफ में रकबा घटने की आशंका के चलते पिछले एक महीने के दौरान मूंगफली की कीमतों में सुधार का रुख बना है। इस वजह से नई फसल आने तक मूंगफली में पांच-सात फीसदी का और सुधार होने की उम्मीद है। हालांकि ऊंचे भावों पर लिवाली कमजोर होने से पिछले सप्ताह हाजिर और वायदा दोनों में ही मूंगफली में मामूली गिरावट दर्ज की गई है। इसके बावजूद मूंगफली में धारणा मजबूती की है। दरअसल इस साल निर्यात में कमी तथा पाम ऑयल सस्ता होने से मूंगफली तेल के भावों पर भी दबाब बना रहा है। इस वजह से मूंगफली के भाव भी 3,000 रुपये प्रति क्विंटल के ऊपर कुछ ही मौकों पर निकल पाए। इससे मनमाफिक दाम नहीं मिलने से किसानों ने इस बार मूंगफली की बुवाई कम की है।इससे देशभर में खरीफ सीजन के दौरान मूंगफली का रकबा 15 फीसदी से ज्यादा घटने की आशंका है। यह देखते हुए मूंगफली की मांग निकली है। इस वजह से जुलाई के दौरान राजस्थान की मंडियों में मूंगफली के भाव लगभग दस फीसदी सुधरकर 2,500 से 2,800 रुपये क्विंटल हो गए हैं। यही रुख वायदा सौदों में रहने से एनसीडीईएक्स में अगस्त वायदा मूंगफली के भाव महीने भर में ढाई फीसदी से ज्यादा बढ़कर शनिवार को 2,596 रुपये क्विंटल पर बंद हुए हैं। हालांकि ऊंचे भावों पर मुनाफावसूली के कारण पिछले सप्ताह अगस्त वायदा मूंगफली के भाव मामूली गिरावट से साथ बंद हुए हैं। लेकिन 15 अगस्त के बाद मूंगफली भूनकर बेचने वालों की मांग निकलने की संभावना को देखते हुए नई फसल आने तक मूंगफली में पांच-सात फीसदी का सुधार की संभावना व्यक्त की जा रही है। जुलाई के दौरान राजकोट मंडी में मूंगफली तेल में करीब आठ फीसदी की तेजी आने से भी मूंगफली में मजबूती की धारणा को बल मिला है। उल्लेखनीय वर्ष 2008-09 के दौरान देश में मूंगफली का कुल उत्पादन 73 लाख टन होने का अनुमान है जो कि पूर्व वर्ष की तुलना में करीब बीस फीसदी कम है। ऐसे में खरीफ में मूंगफली का रकबा घटने से इस साल पैदावार में और कमी की आशंका है। हालांकि मूंगफली रबी और खरीफ दोनों में ही बोई जाती है। लेकिन 75 फीसदी मूंगफली का उत्पादन खरीफ के दौरान ही होता है और इस साल खरीफ में मूंगफली का रकबा पिछले वर्ष की तुलना में 41.35 लाख हैक्टेयर से घटकर 33.11 लाख हैक्टेयर रह जाने की आशंका है। ऐसे में अगले महीने भारत के दौरे पर आने वाला यूरोपीय कमीशन अगर निर्यात मापदंडों से संतुष्ट हो जाता है तो आगे मूंगफली निर्यात में सुधार हो सकता है। पिछले वर्ष देश से 2.50 से 2.75 लाख टन मूंगफली का निर्यात होने का अनुमान है। इस साल क्वालिटी को लेकर कुछ सौदे रद्द होने की बात सामने आने से निर्यात अपेक्षा से कम रहा है। लेकिन एपीडा की ओर से किए जा रहे प्रयासों से मूंगफली निर्यात में सुधार की उम्मीद की जा सकती है। (Business Bhaskar)

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