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05 अगस्त 2009

नेचुरल रबर का निर्यात शून्य जबकि आयात 8 गुना बढ़ा

देश का नेचुरल रबर निर्यात जुलाई में गिरकर शून्य के करीब पहुंच गया है जबकि पिछले वर्ष इस दौरान करीब 9,299 टन का निर्यात किया गया था। वहीं जुलाई के दौरान नेचुरल रबर का आयात आठ गुना बढ़ गया है। रबर बोर्ड के मुताबिक निर्यात शून्य के करीब पहुंचने का कारण घरेलू बाजार में रबर की कीमतों का वैश्विक बाजार से काफी ज्यादा होना है। अप्रैल तक नेचुरल रबर का निर्यात घटकर मात्र 834 टन रहा है जबकि गत वित्त वर्ष में इस दौरान निर्यात 25,599 टन था। यह गिरावट सरकार को चालू वर्ष में नेचुरल रबर निर्यात के लक्ष्य 50,000 में संशोधन करने पर मजबूर कर सकती है। रबर बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि घरेलू बाजार में नेचुरल रबर की कीमतें वैश्विक बाजार के भाव से काफी ज्यादा हैं। यह स्थिति होने के कारण टायर निर्माण में जुटे बड़े ग्राहक बाहर से रबर आयात को प्राथमिकता दे रहे हैं। भारत से निर्यात फायदेमंद रह गया है। वैश्विक बाजार में मांग की कमी ने भी निर्यात को प्रभावित किया है। घरेलू और वैश्विक बाजार में नेचुरल रबर की कीमतों का अंतर इसके आयात में साफ दिखाई देता है।जुलाई में रबर का आयात आठ गुना बढ़कर 20,412 टन हो गया है जबकि गत वर्ष इस दौरान केवल 2,589 टन नेचुरल रबर का आयात किया गया था। कीमतों का अंतर काफी बड़ा है। कोट्टायम में नेचुरल रबर के भाव 10,050 रुपये प्रति क्विंटल थे जबकि सिंगापुर के सीकॉम में आरएसएस-3 किस्म के रबर के भाव (भारतीय रुपये में) 9,540 रुपये प्रति क्विंटल थे। वहीं, नेचुरल रबर का उत्पादन जुलाई में 19 फीसदी घटकर 50,500 टन रह गया है जबकि गत वर्ष जुलाई में 62,550 टन उत्पादन हुआ था। नेचुरल रबर की खपत में जुलाई के दौरान मामूली बढ़त रही है। गत वर्ष इस दौरान 77,540 टन नेचुरल रबर की खपत हुई थी, जबकि टायर उद्योग में मांग बढ़ने के कारण इस जुलाई में 78,000 टन की खपत रही है। रबर बोर्ड ने कहा है कि भले ही नेचुरल रबर के निर्यात में भारी गिरावट आई है लेकिन फिलहाल 50,000 टन के निर्यात लक्ष्य में संशोधन की कोई जल्दबाजी नहीं है। (Business Bhaskar)

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