14 जुलाई 2009
विदेशी तेजी और डॉलर की मजबूती से कॉटन निर्यात बढ़ने के आसार
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कॉटन की कीमतों में आई तेजी और डॉलर की मजबूती से भारत से निर्यात बढ़ने के आसार हैं। न्यूयार्क बोर्ड ऑफ ट्रेड में कॉटन के दिसंबर वायदा में पिछले एक सप्ताह में करीब 1.53 फीसदी की तेजी आई है जबकि कॉटलुक इंडेक्स (वायदा) में इस दौरान 0.85 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। रुपये के मुकाबले डॉलर पिछले एक महीने में करीब 4.4 फीसदी बढ़ गया है। ऐसे में मंद गति से चल रहे कॉटन निर्यात में तेजी आ सकती है।अंतरराष्ट्रीय बाजार न्यूयार्क बोर्ड ऑफ ट्रेड में कॉटन के दिसंबर महीने के वायदा अनुबंध में पिछले एक सप्ताह में करीब 1.53 फीसदी की तेजी आकर भाव 62.45 सेंट प्रति पाउंड हो गये। तीन जुलाई को इसके भाव 60.92 सेंट प्रति पाउंड थे। हालांकि पिछले साल की समान अवधि के मुका भी काफी नीचे हैं। दस जुलाई 2008 को दिसंबर वायदा में भाव 73.58 सेंट प्रति पाउंड थे। उधर कॉटलुक इंडेक्स में पिछले एक सप्ताह में कॉटन के दाम 66 सेंट से बढ़कर 66.85 सेंट प्रति पाउंड हो गये। घरेलू बाजार में पिछले एक महीने से शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव में 300 से 400 रुपये की तेजी आकर भाव 23,500 से 23,700 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी 356 किलो) हो गये। अबोहर स्थित मैसर्स कमल कॉटन ट्रेडर्स प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर राकेश राठी ने बिजनेस भास्कर को बताया कि रुपये के मुकाबले डॉलर में आई मजबूती और विदेशी बाजार में भाव बढ़ने से निर्यात में बढ़ोतरी होगी।रुपये के मुकाबले डॅलर मजबूत होकर सोमवार को 49.11 के स्तर पर पहुंच गया जबकि पिछले महीने यह 47 के स्तर पर था। उन्होंने बताया कि विदेशी मांग को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय बाजार में कॉटन की मौजूदा कीमतों में और भी दो-तीन सेंट की तेजी आने की संभावना है। सूत्रों के अनुसार टैक्सटाइल कमिश्नर के आफिस में चालू कपास सीजन में अगस्त-08 से जून-09 के दौरान कॉटन निर्यात के लिए कुल 31.95 लाख गांठ के सौदे पंजीकृत हुए हैं तथा इसमें से मात्र 22.82 लाख गांठ की ही शिपमेंट हुई है। जून महीने में कॉटन निर्यात के लिए 364,235 गांठ का रजिस्ट्रेशन हुआ है जबकि 92,071 गांठ की शिपमेंट हुई है। मई महीने में देश से 541,086 गांठ का रजिस्ट्रेशन हुआ था तथा 256,552 गांठ की शिपमेंट हुई थी। मालूम हो कि पिछले कपास सीजन में भारत से लगभग 85 लाख गांठ कपास का निर्यात हुआ था। कॉटन निर्यातक संजीव गर्ग ने बताया कि पिछले साल हुए कुल निर्यात में से करीब पचास फीसदी चीन को निर्यात हुआ था लेकिन चालू सीजन में चीन की मांग भारत से काफी कम रही है। हालांकि इस दौरान देश से बंगलादेश को निर्यात बढ़ा है। उहोंने बताया कि केंद्र सरकार ने कॉटन के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में भारी इजाफा किया था जिससे पंजाब और हरियाणा में कॉटन के बुवाई क्षेत्रफल में बढ़ोतरी हुई है। उत्तर भारत में अभी तक बारिश सामान्य से काफी कम हुई है लेकिन ज्यादातर क्षेत्रफल सिचिंत होने के कारण अभी तक फसल को कोई नुकसान नहीं है। (Buisness Bhaskar....R S Rana)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें