मुंबई- साल भर पसीना बहाने के बाद किसान जब मंडी में फसल बेचने जाते हैं तो उनकी कमाई का एक बड़ा हिस्सा बिचौलियों के हाथों में चला जाता है लेकिन अब एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केटिंग कमिटी (एपीएमसी) के तहत राष्ट्रीय स्तर पर इलेक्ट्रॉनिक स्पॉट एक्सचेंज शुरू होने से किसानों को अपनी पैदावार के लिए अच्छी रकम मिल सकती है। इलेक्ट्रॉनिक स्पॉट एक्सचेंज के जरिए कारोबार करने से लघु से मध्यम अवधि में किसानों की आमदनी 10 फीसदी बढ़ सकती है। वैकल्पिक माकेर्टिंग चैनल के रूप में इलेक्ट्रॉनिक स्पॉट एक्सचेंज, एपीएमसी के साथ प्रतियोगिता नहीं करेगा बल्कि उसे समर्थन देगा। इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के जरिए कारोबार होने से बिचौलियों की भूमिका घटेगी। यह एपीएमसी को कृषि उत्पादों के लिए आभासी निगरानी पर आश्रित रहने के बजाय साइंटिफिक ग्रेडिंग फैसिलिटी स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करेगी। इस परीक्षण से होने वाले फायदों को आईआईएम बंगलुरु अकादमी द्वारा कर्नाटक के 146 एपीएमसी अधिकारियों के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। ताजा आर्थिक सर्वे में एपीएमसी के जरिए कृषि बाजार में इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में स्पॉट कमोडिटी ट्रेडिंग करने की सिफारिश की गई है। आईआईएमबी के गोपाल नाइक का कहना है, 'फंड, इफ्रास्ट्रक्चर और गुणवत्ता जैसे कई कारण हैं जिनकी वजह से प्रत्येक एपीएमसी द्वारा राष्ट्रीय स्तर के इलेक्ट्रॉनिक स्पॉट ट्रेडिंग मॉडल की स्थापना में निवेश करना मुमकिन नहीं है।' उनका कहना है, 'राष्ट्रीय स्तर पर इलेक्ट्रॉनिक स्पॉट के साथ आगे सार्वजनिक-निजी साझेदारी की शुरुआत होगी, जिसपर पहले ही काम शुरू हो चुका है।'
नाइक के मुताबिक एपीएमसी नेशनल स्पॉट एक्सचेंज (एनएसईएल) और एनसीडीईएक्स स्पॉट एक्सचेंज (एनस्पॉट) जैसे स्पॉट ट्रेडिंग बाजारों के साथ साझेदारी कर सकती है। उल्लेखनीय है कि एनएसईएल की स्थापना फाइनांशियल टेक्नोलॉजीज और एनस्पॉट की शुरुआत एनसीडीईएक्स ने की है। एनएसईएल देश भर के 9 राज्यों में फैली है जबकि एनस्पॉट का कामकाज चार राज्यों में है। (ET Hindi)
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