नई दिल्ली- मानसून का लुकाछिपी का खेल जारी रहने के कारण गैर बासमती चावल के निर्यात पर लगे प्रतिबंध को हटाने का सुझाव देने से पहले वाणिज्य मंत्रालय ने महीने के अंत तक इंतजार करने का फैसला किया है। गैर बासमती चावल पर लगे प्रतिबंध को हटाने के लिए वाणिज्य मंत्रालय विशेषाधिकार प्राप्त मंत्रियों के समूह को सुझाव देगा। देश में भले ही चावल का पर्याप्त भंडार है, लेकिन चावल निर्यात को अनुमति देने से पहले वाणिज्य मंत्रालय इस बात को सुनिश्चित कर लेना चाहता है कि देश सूखे की तरफ तो नहीं बढ़ रहा है। ईटी से बातचीत में वाणिज्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि कुछ समय पहले सरकार गैर बासमती चावल के निर्यात पर लगे प्रतिबंध को हटाने के लिए सक्रिय रूप से विचार कर रही थी, लेकिन मानसून में देरी और देश के कई भागों में सूखे जैसी स्थिति उत्पन्न होने के कारण अब परिस्थितियां बदल गई हैं। अधिकारी ने कहा, 'महीने के अंत तक हमें देश के सभी भागों में मानसून की स्थिति के बारे में मोटा-मोटी जानकारी मिल जाएगी। इसके बाद ही हम विशेषाधिकार प्राप्त मंत्रियों के समूह को कोई सुझाव भेजेंगे।' देश में फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एफसीआई) के पास चावल का भंडार 2.6 करोड़ टन पहुंच गया है। बफर नियमों के मुताबिक यह एक साल से अधिक के लिए स्टॉक है। मई के महीने में सरकार ने 21 अफ्रीकी देशों को निर्यात के लिए 10 लाख टन लो-प्रीमियम गैर बासमती चावल की अनुमति दी थी। इससे पहले इस साल जनवरी में सरकार ने चार अफ्रीकी देशों को 55,000 टन चावल निर्यात करने की अनुमति दी थी।
चावल ट्रेडरों के अनुसार जिस 10 लाख टन चावल निर्यात को अनुमति दी गई थी, वास्तव में उसमें से भी चावल का निर्यात नहीं किया गया है। राजधानी के अनाजों के एक निर्यातक राजेश पहाडि़या का कहना है कि चूंकि सरकार अफ्रीकी देशों को पहले ही 10 लाख टन चावल निर्यात करने के लिए अनुमति दे चुकी है, इस कारण निजी ट्रेडरों को भी निर्यात करने की अनुमति देनी चाहिए। उन्होंने कहा, 'कई बार एसटीसी और एमएमटीसी जैसी सरकारी एजेंसियां जोखिम बहुत अधिक होने के कारण डील नहीं कर पाती हैं। ऐसी डील को निजी ट्रेडर पूरा करने में सक्षम हो सकते हैं।' चावल निर्यातक यह भी चाहते हैं कि निर्यात के लिए उन्हें खुले बाजार से भी चावल खरीदने की अनुमति मिलनी चाहिए। हालांकि यह ऐसा निर्णय है जिसके लिए उन्हें लंबे समय तक इंतजार करना पड़ेगा। (ET Hindi)
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