मुंबई: इंडस्ट्री का मानना है कि चीनी की कीमतों को काबू में रखने के लिए सरकार ड्यूटी-फ्री आयात नीति की मियाद साल भर और बढ़ा सकती है। फिलहाल यह नीति 1 अगस्त तक लागू है। इस साल की शुरुआत में सरकार ने चीनी निर्यात की शर्तों को हटा दिया था। ये शर्तें कच्ची चीनी के आयात से भी जुड़ीं हुई थीं। दरअसल, तब चीनी की कीमतें बढ़ रही थीं। सरकार ने इस पर काबू पाने के लिए यह कदम उठाया था। महाराष्ट्र स्टेट को-ऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज फेडरेशन के मैनेजिंग डायरेक्टर प्रकाश नैकनवारे कहते हैं, 'हमें सरकार से कच्ची चीनी आयात नीति को और साल भर तक बढ़ाने की उम्मीद है। इससे घरेलू बाजार में चीनी की उपलब्धता को बढ़ावा मिलेगा और कीमत पर भी नियंत्रण रखा जा सकेगा।'
श्री रेणुका शुगर के मैनेजिंग डायरेक्टर नरेंद मुरकुंबी का कहना है, 'मुझे लगता है कि ड्यूटी-फ्री नीति को और एक साल के लिए आगे बढ़ाना चाहिए।' चीनी मिलों को विदेश से बिना किसी शुल्क के कच्ची चीनी आयात करने की अनुमति दी गई थी। हालांकि आयात के तीन साल के अंदर उतनी ही रिफाइंड चीनी निर्यात करने की शर्त भी है। हालांकि, सरकार हाल ही में इस शर्त को वापस ले लिया था। उम्मीद है कि 2009-10 में भारत में चीनी का कुल उत्पादन 175 से 185 लाख टन के बीच रह सकता है जबकि पहले इसके 200 लाख टन रहने का अनुमान लगाया गया था। मॉनसून में हुई देरी की वजह से उत्पादन में कमी की आशंका जताई जा रही है। घरेलू बाजार में चीनी की मांग 225 लाख टन की है। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन के डायरेक्टर जनरल एस एल जैन ने पिछले महीने बताया था कि भारत ने 30 लाख टन कच्ची चीनी के आयात सौदे किए हैं। बाजार में आपूतिर् बढ़ाने के लिए सरकारी कंपनियों को 10 लाख टन ड्यूटी-फ्री सफेद चीनी आयात करने को कहा गया था लेकिन ऊंची अंतरराष्ट्रीय कीमतों के कारण अभी तक केवल 25 से 30 हजार टन की चीनी का आयात किया जा सका है। (ET Hindi)
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