कोलकाता: सरकारी जूट मिलों को इन दिनों जूट की बोरियों की ढुलाई की समस्या से दो-चार होना पड़ रहा है। इन जूट मिलों को बी टीविल जूट बोरियों की आपूर्ति करने में कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। इनमें एक बड़ी समस्या रेलवे वैगन द्वारा जूट की बोरियों को एक से दूसरी जगह ले जाने में सामने आ रही है। टेक्सटाइल्स सचिव रीता मेनन के साथ हालिया बातचीत में भारतीय जूट मिल संघ (इज्मा) के चेयरमैन संजय कजारिया ने इस मामले हस्तक्षेप करने की मांग की है। कजारिया ने मेनन से निवेदन किया है कि इस समस्या को तुरंत सुलझाने के लिए वह इस मुद्दे को रेलवे बोर्ड के पास ले जाएं। इससे इंडस्ट्री को रेलवे वैगन द्वारा शीघ्रता से बगैर कोई नुकसान किए डिस्पैच करने में मदद मिलेगी।
इंडस्ट्री के सूत्रों के मुताबिक क्षमतावान जूट मिलों को 4-5 जगहों के लिए बी टीविल जूट बैग की आपूर्ति करनी है। उल्लेखनीय है कि पहले रेलवे प्रशासन कई हिस्सों में या थोड़ी-थोड़ी मात्रा में बी टीविल जूट बैग को रेलवे वैगन में लदाई की अनुमति दे रही थी, जिससे जूट मिलों को अपने अनुबंधों के जरिए 4-5 वैगन (520/650 गांठ) और तैयार उत्पाद की लदाई में मदद मिलती थी लेकिन अब थोड़ी-थोड़ी मात्रा में लदाई लदाई की अनुमति खत्म हो गई है जिससे मिलों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। इंडस्ट्री की मांग है कि रेलवे पहले की व्यवस्था लागू कर दे। सप्लाई करने वाली मिलें लॉजिस्टिक की एक दूसरी मुश्किल से भी जूझ रही हैं। पूर्वी रेलवे मिलों को बी टीविल जूट बैग की लदाई तीन जगहों-भदेश्वर, नैहाटी और टीटागढ़-पर ही करने की सुविधा देती है। सूत्रों का कहना है कि कम से कम दो अतिरिक्त लदाई केंद्र शुरू करना चाहिए। भदेश्वर में हालांकि, 20 वैगन में लदाई के बी टीविल जूट बैग की डंपिंग की सुविधा है लेकिन टीटागढ़ और नैहाटी में इस तरह की कोई सुविधा नहीं है जिसकी वजह से जूट मिलों को मॉनसून के दौरान ज्यादा मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। (ET Hindi)
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