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14 जुलाई 2009

आसमान छू रही हैं दाल की खुदरा कीमतें

मुंबई : घरेलू स्टॉक में कमी, बढ़ रही अंतरराष्ट्रीय कीमतों और कमजोर मानसून जैसे सभी कारक दाल के दाम चढ़ाने का काम कर रहे हैं। पिछले एक पखवाड़े में दालों की खुदरा कीमतों में 10 से 45 फीसदी का इजाफा हो चुका है। मुंबई की खुदरा दुकानों में अरहर दाल की कीमतें 45 फीसदी ऊपर चढ़कर 90 रुपए प्रति किलो पर पहुंच चुकी हैं। उड़द दाल 36 फीसदी महंगी होकर 90 रुपए प्रति किलो हो चुकी है। इसी तरह मूंग दाल 10 फीसदी महंगी होकर 74 रुपए प्रति किलो पर बिक रही है। इस अवधि में वाशी की कृषि उत्पाद विपणन समिति (एपीएमसी) मंडी में दालों का थोक भाव 11 से 35 फीसदी बढ़ चुका है। एक पखवाड़े भर में एनसीडीईएक्स के फ्यूचर सौदों में भी उछाल देखने को मिला है। चना की जुलाई डिलीवरी 2,326 रुपए प्रति क्विंटल पर बंद होने से पहले 8 फीसदी ऊपर पहुंच गई। ऐसे ही अगस्त के सौदों में 8 फीसदी का उछाल आया और यह 2,409 रुपए प्रति क्विंटल पर हुआ। कमोडिटी बाजार के नियामक फॉरवर्ड मार्केट्स कमीशन (एफएमसी) ने दो साल पहले अरहर और उड़द की टेडिंग पर पाबंदी लगा दी थी। डर था कि इनकी फ्यूचर ट्रेडिंग से हाजिर भाव में उछाल आ सकता है। एसएमसी ग्लोबल सिक्योरिटीज के रिसर्च एनालिस्ट अजीत कुमार ने कहा कि अगले 15 दिनों में दाल समेत चना के भाव में 100 से 150 रुपए की बढ़ोतरी हो सकती है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में चढ़ती कीमतें, सीमित सप्लाई और मानसून में देरी की वजह से ऐसा होगा। मौसम विभाग का कहना है कि दाल उत्पादन करने वाले क्षेत्रों में 1 जून से 8 जुलाई के बीच 50 फीसदी कम बारिश हुई है। फसलों के बारे में कृषि मंत्रालय द्वारा जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले हफ्ते की तुलना में 10 जुलाई तक दालों के बुआई रकबे में सुधार हुआ है। हालांकि पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 12.5 लाख हेक्टेयर का यह रकबा 60 फीसदी कम है। पिछले साल यह 30.9 लाख हेक्टेयर था। कम फसल होने की आशंका के चलते स्टाकिस्टों ने जमाखोरी शुरू कर दी है ताकि दाम बढ़ने पर वे मुनाफा काट सकें। इससे सप्लाई में बाधा आना तय है। पिछले साल की तुलना में साल 2008-09 में अरहर, उड़द और मूंग दाल का उत्पादन 21 फीसदी कम (51 लाख टन) रह सकता है। मुंबई के एक खुदरा कारोबारी का कहना है कि दाम बढ़ने के कारण अरहर और उड़द का मार्जिन 10 फीसदी कम हो चुका है। उन्होंने कहा, 'हम अब दाम में और बढ़ोतरी नहीं कर सकते, नहीं तो लोग दाल खरीदना ही बंद कर देंगे।' अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी दालों की उपलब्धता में कमी देखी जा रही है। दाल उत्पादन करने वाले देश म्यांमार, तंजानिया, थाईलैंड, ऑस्टेलिया, तुकीर्, सीरिया, कनाडा में दालों की तंगी महसूस की जा रही है। जैसे ही भारत सरकार ने नेफेड, एमएमटीसी और एसटीसी को 200 करोड़ रुपए की सब्सिडी मुहैया कराने की घोषणा की, इन देशों ने दालों की कीमत में इजाफा कर दिया। सरकार ने दालों के आयात के लिए इस सब्सिडी की घोषणा की है। पिछले 15 दिनों में दालों की आयातित कीमत में 10 से 20 फीसदी का इजाफा हो चुका है। (ET Hindi)

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