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02 जुलाई 2009

आर्थिक सर्वे ने दिखाया तेजी से विकास का ख्वाब

नई दिल्ली: वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने आर्थिक सर्वेक्षण आज संसद में पेश किया। आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि मौजूदा कारोबारी साल में देश की विकास की रफ्तार 7 से 7.5 परसेंट के बीच रह सकती है। अगर सरकार रिफॉर्म में तेजी लाती है, फ्यूल सब्सिडी खत्म करने जैसे कदम उठाती है और इंफ्रास्ट्रक्चर विकास पर जोर देती है तो आने वाले वर्षों में विकास की गति और तेज हो सकती है। सर्वे में सेस, टैक्स पर सरचार्ज, एसटीटी और सीटीटी (सिक्युरिटीज और कमोडिटीज ट्रांजेक्शन टैक्स)और फ्रिंज बेनिफिट टैक्स हटाने की भी वकालत की गई है। साथ ही कहा गया है कि बीमा क्षेत्र में 49 परसेंट एफडीआई की इजाजत दी जाए। सोमवार को आने वाले जनरल बजट से पहले आज संसद में पेश आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है
महंगाई अब देश के सामने बड़ी चुनौती नहीं है और ऐसे में वित्तीय घाटे को 3 परसेंट के स्तर पर फिर से लाने की जरूरत है। देश का वित्तीय घाटा 2009-2009 में बढ़कर 6.2 परसेंट हो गया था क्योंकि ग्लोबल मंदी से निबटने के लिए सरकार ने अर्थव्यवस्था के लिए कई पैकेज दिए और सरकारी खर्च को बढ़ाया गया। कुल मिलाकर देश की अर्थव्यवस्था को लेकर वित्त मंत्रालय का रुख सकारात्मक है और इस समय वित्त मंत्रालय का जोर आर्थिक सुधारों पर है। सर्वेक्षण में कहा गया है कि अगर महत्वपूर्ण नीतिगत फैसले किए गए और विकास की रुकावटें दूर कर दी गईं तो 8.5 परसेंट से 9 परसेंट की विकास दर हासिल करना संभव है। मार्च 2008 से पहले के 3 वर्षों में भारतीय अर्थव्यवस्था ने 9 परसेंट या ज्यादा रफ्तार से तरक्की की थी। सर्वे के मुताबिक ये जरूरी है कि सरकार लंबित पड़े रिफॉर्म को फिर से शुरू करे। पिछली सरकार में लेफ्ट के विरोध के कारण सुधार का एजेंडा आगे नहीं बढ़ पाया था। लेकिन अब वो बाधा भी दूर हो चुकी है। आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि सरकारी कंपनियों को बेचकर हर साल 250 अरब रुपए जुटाए जाने चाहिए। खाद और अनाज सब्सिडी में रिफॉर्म लाना चाहिए और साथ ही इंफ्रास्ट्रक्चर पर सरकारी और निजी और सरकारी निवेश की अड़चनों को दूर करना चाहिए। आर्थिक सर्वेक्षण में चीनी और खाद पर प्राइस कंट्रोल हटाने की वकालत की गई है। कहा गया है कि अभी जो सब्सिडी चीनी और खाद कंपनियों को दी जाती है उसे सीधे कंज्यूमर तक पहुंचाया जाए। साथ ही सर्वे में जीवनरक्षक दवाओं को छोड़कर बाकी दवाओं को प्राइस कंट्रोल से मुक्त करने की वकालत की गई है। सर्वे में कहा गया है कि सभी कमोडिटी के वायदा कारोबार पर पाबंदी हटाई जानी चाहिए। आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि अप्रैल 2010 तक गुड्स एंड सर्विस टैक्स यानी जीएसटी लागू करना चाहिए ताकि ज्यादा राजस्व सरकार के पास आए और टैक्स की पूरी प्रक्रिया आसान हो जाए। सर्वे में ये भी कहा गया है कि इस समय अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कम कीमत को देखते हुए पेट्रोल और डीजल की कीमत पर सरकारी नियंत्रण खत्म करना चाहिए। (ET Hindi)

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