11 जुलाई 2009
दक्षिण की मांग से गेहूं सुधरा
उत्पादक मंडियों में आवक घटने और दक्षिण भारत की मांग से पिछले तीन-चार दिनों में गेहूं की कीमतों में 35-40 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आ चुकी है। हाजिर बाजार में आई तेजी का असर वायदा बाजार पर भी पड़ रहा है। नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज लिमिटेड (एनसीडीईएक्स) पर जुलाई महीने के वायदा अनुबंध में पिछले दस दिनों में करीब चार फीसदी की तेजी दर्ज की गई है। हालांकि सरकार के पास गेहूं का बंपर स्टॉक मौजूद है। पर जानकारों का कहना है कि स्टॉकिस्टों और फ्लोर मिलों के पास स्टॉक कम होने से इसके भाव में 40-50 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आ सकती है।वायदा बाजार में बढ़तनेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज लिमिटेड में पहली जुलाई को जुलाई वायदा अनुबंध के भाव 1076 रुपये प्रति क्विंटल थे। लेकिन नीचे भाव में निवेशकों की खरीद बढ़ने से शुक्रवार को इसके भाव बढ़कर 1120 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। जुलाई महीने के वायदा में इस समय करीब 6,030 लॉट के सौदे खड़े हुए हैं।मांग में बढ़ोतरीश्री बालाजी फूड प्रोडक्ट्स के डायरेक्टर राजेंद्र बंसल ने बताया कि गेहूं उत्पादों मसलन आटा, मैदा और सूजी की मांग में बढ़ोतरी हुई है। जबकि हरियाणा और पंजाब का ज्यादातर गेहूं भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने खरीदा है। ऐसे में दक्षिण भारत के साथ ही अन्य राज्यों में भी गेहूं की सप्लाई उत्तर प्रदेश से ही हो रही है। मानसून की देरी से उत्तर प्रदेश में स्टॉकिस्टों की बिकवाली कम हो गई है, जिससे भावों में तेजी का रुख बनना शुरू हो गया है। उत्तर प्रदेश की मंडियों शाहजहांपुर, बरेली, कानपुर, हरदोई, सीतापुर और गोरखपुर लाइन से दक्षिण भारत के लिए हर सप्ताह चार से पांच रैक के सौदे हो रहे हैं। उत्तर प्रदेश की मंडियों में पिछले चार-पांच दिनों में गेहूं की कीमतों में करीब 40-50 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आकर भाव 1030 से 1060 रुपये प्रति क्विंटल हो गए हैं। हालांकि उत्तर प्रदेश की मंडियों में अब भी गेहूं के भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 1080 रुपये प्रति क्विंटल से कम हैं।मिलों का हाल एस एस कॉमर्शियल कॉपरेरेशन के पार्टनर सुरेंद्र कुमार ने बताया कि हर साल दक्षिण भारत की फ्लोर मिलें सालाना खपत का करीब 25 फीसदी गेहूं फसल के समय स्टॉक कर लेती थीं। चालू सीजन में गेहूं की कुल उपलब्धता ज्यादा होने के कारण मिलों ने स्टॉक नहीं किया है। इसलिए उत्पादक मंडियों में आवक घटते ही भावों पर असर पड़ना शुरू हो गया है। दक्षिण भारत की फ्लोर मिलें इस समय मिल पहुंच गेहूं की खरीद 1250-1275 रुपये प्रति क्विंटल की दर से कर रही हैं। पिछले एक सप्ताह में इसमें करीब 50 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आ चुकी है।स्टॉक कितना रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया की सचिव वीणा शर्मा के मुताबिक चालू खरीद सीजन में भारतीय खाद्य निगम न्यूनतम समर्थन मूल्य पर करीब 250.70 लाख टन गेहूं की खरीद कर चुका है। पिछले साल का भी करीब 100 लाख टन गेहूं सरकारी गोदामों में बचा हुआ है। इसलिए सरकार के पास इस समय 350 लाख टन से ज्यादा का स्टॉक मौजूद है। हालांकि अभी एफसीआई ने खुले बाजार में गेहूं की बिक्री शुरू नहीं की है। उन्होंने बताया कि दक्षिण के साथ-साथ अन्य राज्यों की मांग को देखते हुए गेहूं के मौजूदा भावों में और भी 40-50 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आने की संभावना है।निर्यात का हाल केंद्र सरकार ने सरकारी एजेंसियों (एमएमटीसी, एसटीसी और पीईसी) को नौ लाख टन गेहूं निर्यात करने की इजाजत दी है। इसके अलावा फ्लोर मिलों को भी 6.5 लाख टन गेहूं उत्पादों (आटा, मैदा और सूजी) के निर्यात की अनुमति दी है। एसटीसी के एक अधिकारी के मुताबिक भारत के मुकाबले अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं के दाम कम हैं। ऐसे में मौजूदा भावों में गेहूं निर्यात होने की संभावना कम है। इस समय अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं के भाव 180-190 डॉलर प्रति टन हैं जबकि भारतीय गेहूं के भाव 200-210 डॉलर प्रति टन हैं। कम रह सकता है उत्पादन सरकार द्वारा हाल ही में जारी तीसरे अग्रिम अनुमान के मुताबिक वर्ष 2008-09 में देश में गेहूं का उत्पादन 776 लाख टन होने की संभावना है जो कि वर्ष 2007-08 के 785 लाख टन से कम है। जाहिर है उत्पादन करीब 11 लाख टन कम रहने की आशंका है। ये हाल तब है जबकि सरकार इसको बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है।a (Business Bhaskar....R S Rana)
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