बेंगलुरु July 13, 2009
चालू चीनी सत्र (अक्टूबर 2008 से सितंबर 2009) में गन्ने के उत्पादन में आई 40 प्रतिशत गिरावट के बावजूद कर्नाटक में चीनी मिलों के क्षमता विस्तार में कोई कमी नजर नहीं आ रही है।
राज्य में इस समय कुल 54 चीनी मिलें हैं, जिनकी प्रतिदिन की गन्ने की पेराई की क्षमता 215,450 टन प्रतिदिन (टीसीडी) है, इसमें 17 नई मिलें भी जुड़ने जा रही हैं, जिस पर विभिन्न चरणों में काम चल रहा है।
इन नई मिलों के 2-3 साल में तैयार हो जाने के बाद राज्य में मिलों की पेराई क्षमता में 25 प्रतिशत का विस्तार हो जाएगा। वर्तमान में इन नई 17 मिलों में से 12 पर काम चल रहा है।
इसके अलावा राज्य की उच्च स्तरीय मंजूरी समिति ने पिछले महीने वर्तमान चीनी मिलों के दो प्रस्तावों को स्वीकृति दे दी है, जिससे वे पेराई क्षमता में 2500 टन प्रतिदिन का विस्तार कर सकेंगी। 2500 टन प्रतिदिन की पेराई क्षमता बढ़ाने में अनुमानित खर्च 150-200 करोड़ रुपये आता है।
क्षमता का विस्तार करने वाली मिलों में श्री रेणुका शुगर्स लिमिटेड और विश्वनाथ शुगर लिमिटेड शामिल हैं जो क्रमश: 5,000 और 3000 टन प्रतिदिन पेराई क्षमता का विस्तार कर रही हैं।
चीनी की नई मिलों में भासवेश्वर शुगर्स, देवीचंद शुगर्स, शिवशक्ति शुगर फैक्टरी, बीरेश्वर शुगर, हेमारस टेक्नोलॉजीज, गोकाक शुगर फैक्टरी (सभी बेलगांव जिले में), भालकेश्वर शुगर फैक्टरी, बीदर किसान शुगर्स (बीदर जिले में), मनाली शुगर्स, केपीआर शुगर्स, सिध्देश्वर सक्कारे कारखाने, इंडियन शुगर मैन्युफैक्चरिंग (सभी बीजापुर जिले में), चिंचोली शुगर फैक्टरी, कीर्ति इंडस्ट्रीज, कोग्रीन सक्कारे कारखाने (सभी गुलबर्ग जिले में) और चामुंडेश्वरी शुगर्स हासन जिले में स्थापित हो रही हैं।
चालू सत्र में तो हालत यह थी कि 54 में से 4 मिलें गन्ने की कमी की वजह से पेराई ही नहीं शुरू कर सकीं। इस साल गन्ने के उत्पादन में 153 लाख टन की कमी आई, जो राज्य में पिछले साल की तुलना में 42 प्रतिशत कम है। अनुमान लगाया जा रहा है कि अक्टूबर 2009 में शुरू होने वाले नए सत्र में कम से कम 2-3 मिलें और चालू हो जाएंगी।
साउथ इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (सिस्मा) के पूर्वानुमानों के मुताबिक अगले सत्र में गन्ने के उत्पादन में 10-15 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी। अनुमान लगाया जा रहा है कि केंद्र सरकार द्वारा वैधानिक न्यूनतम मूल्य में 33 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर कीमतें 1070.76 रुपये प्रति क्विंटल किए जाने के बाद अगले चीनी सत्र में किसान अधिक गन्ना उपजाएंगे। (BS Hindi)
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