नई दिल्ली July 13, 2009
उत्पादन के लिहाज से विश्व में दूसरे स्थान पर होने के बावजूद कपास के आयात में अब तक लगभग 10 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गयी है।
वहीं निर्यात में 50 फीसदी से अधिक की गिरावट का अनुमान है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत के मुकाबले कपास की कीमत कम होने के कारण इसके आयात में बढ़ोतरी व निर्यात में गिरावट दर्ज की गयी है।
गत जून माह में कपास के निर्यात में 64 फीसदी की गिरावट दर्ज की गयी। जून के दौरान कुल 92,071 बेल्स (1बेल = 170 किलोग्राम) का निर्यात किया गया जबकि मई के दौरान कुल 2.56 लाख बेल्स का निर्यात किया गया था। वर्ष 2007-08 (अक्टूबर-सितंबर) के दौरान कुल 85 लाख बेल्स का निर्यात किया गया था।
कॉटन एडवाइजरी बोर्ड ने वर्ष 2008-09 (अक्टूबर-सितंबर) के लिए 50 लाख बेल्स के निर्यात का अनुमान लगाया गया था, लेकिन निर्यात में लगातार हो रही गिरावट को देखते हुए अधिकतम 40 लाख बेल्स निर्यात की उम्मीद की जा रही है।
कनफेडरेशन ऑफ टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज के सचिव डीके नायर कहते हैं, 'कपास का अधिकतम निर्यात 35 लाख बेल्स होगा जबकि इसका आयात वर्ष 08-09 के लिए 8 लाख बेल्स से अधिक रहने का अनुमान है।' अब तक 7 लाख बेल्स कपास का आयात किया जा चुका है जबकि वर्ष 2007-08 के दौरान कुल 6.5 लाख बेल्स कपास का आयात किया गया था।
नायर कहते हैं कि इस पूरे साल अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत के मुकाबले कपास की कीमत 10-15 फीसदी तक कम रही। सरकार ने निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए गत फरवरी से निर्यातकों को पांच फीसदी का अतिरिक्त लाभ भी देना शुरू किया लेकिन इसका कोई फायदा नजर नहीं आ रहा है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत कम होने के कारण उल्टा आयात में 10 फीसदी की बढ़ोतरी हो चुकी है।
भारतीय कपास निगम के मुताबिक 2004-05 के बाद 2008-09 के दौरान कपास का आयात 8 लाख गांठों के आंकड़ों को छू सकता है। वर्ष 2008-09 (अक्टूबर-सितंबर) के लिए कपास की औसत कीमत 24,500 रुपये प्रति कैंडी से अधिक रही। (BS Hindi)
14 जुलाई 2009
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