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14 जुलाई 2009

मानसून में प्रगति से कपास उद्योग को राहत

मुंबई July 13, 2009
दक्षिण पश्चिमी मानसून पिछले पखवाड़े के दौरान आगे बढ़ा, जिसके परिणामस्वरूप कपास की बुआई ने गति पकड़ ली। इससे घरेलू कपड़ा उद्योग को राहत मिली है।
हालांकि कपड़ा उद्योग इस पर बहुत गंभीरता से नजर बनाए हुए है, क्योंकि वर्तमान सप्ताह में होने वाली बारिश कपास के उत्पादन में अहम साबित होगी। कपास क्षेत्र का योगदान कपड़ा उद्योग में 60 प्रतिशत से ज्यादा होता है।
मानसून जल्दी आने से कपड़ा उद्योग में खुशी का माहौल था, लेकिन जून में इसमें देरी देखी गई। कृषि मंत्रालय द्वारा जारी हाल के आंकड़ों के मुताबिक कपास की बुआई करीब 57 प्रतिशत हो चुकी है। सही कहें तो पिछले सप्ताह ही इसकी बुआई में तेजी आई और 48.07 लाख हेक्टेयर की अब तक की बुआई हो चुकी है।
कान्फेडरेशन आफ इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज के महासचिव डीके नैयर ने कहा, 'फसल की उत्पादकता इस बात पर निर्भर करेगी कि चालू सप्ताह में कितनी बारिश होती है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि स्थिति में सुधार आई है, लेकिन अभी भी तमाम कपास उत्पादक इलाकों में बारिश नहीं हुई है। अगर इस सप्ताह बारिश नहीं होती है तो निश्चित रूप से बुआई पर असर पड़ेगा और उत्पादन में कमी आएगी।'
महाराष्ट्र, गुजरात और मध्य प्रदेश में बारिश हुई है, जिसकी वजह से इन राज्यों के कपास उत्पादन क्षेत्रों में तेजी से बुआई हुई है। इन राज्यों में कुल कपास उत्पादन का आधे से ज्यादा उत्पादन होता है। कॉटन एसोसिएशन आफ इंडिया के निदेशक ओपी अग्रवाल ने कहा कि एक पखवाड़े जैसी स्थिति थी, उसकी तुलना में निश्चित रूप से सुधार हुआ है।
यह उद्योग के लिए सकारात्मक संकेत है और मेरा मानना है कि इस साल के दौरान बुआई के क्षेत्रफल में कमी नहीं आएगी और उत्पादन 300 गांठ के करीब रहेगा। कपास की वैश्विक पत्रिका काटन आउटलुक ने अपनी साप्ताहिक समीक्षा में कहा है कि हाल में दक्षिण पश्चिमी मानसून के बढ़ने से उम्मीद बढ़ी है कि इस साल कपास का उत्पादन बढ़िया रहेगा।
कॉटन कार्पोरेशन आफ इंडिया के प्रबंध निदेशक सुभाष ग्रोवर ने कहा कि अभी स्थिति के बारे में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी, क्योंकि जुलाई के आखिर तक ही स्थिति साफ हो पाएगी। कपास उद्योग के एक दिग्गज ने नाम न दिए जाने की शर्त पर कहा कि देश के मध्य इलाके में हो सकता है कि उम्मीद से ज्यादा उत्पादन हो, लेकिन उत्तरी इलाकों में पैदावार गिर सकती है, क्योंकि वहां अभी पर्याप्त बारिश नहीं हुई है।
चालू दशक में कपास की बुआई
वर्ष उत्पादन क्षेत्रफल (लाख गांठें) (लाख हेक्टेयर)2000-01 140 85.762001-02 158 87.302002-03 136 76.672003-04 179 76.302004-05 243 87.862005-06 244 86.772006-07 280 91.782007-08 315 94.392008-09 290 93.73
स्रोत: भारतीय कपास निगम, कपास सलाहकार बोर्ड और टेक्सटाइल एक्सपोर्ट्स 1 गांठ=170 किलो भारत में कपास वर्ष अक्टूबर से सितंबर तक होता है। (BS Hindi)

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